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Cricket Tales - बॉक्सिंग रिंग से आया था दिलीप सरदेसाई में वेस्टइंडीज में टेस्ट सीरीज में रन बनाने का विश्वास

Cricket Tales - बीसीसीआई द्वारा आयोजित, सालाना दिलीप सरदेसाई मेमोरियल लेक्चर की कोविड के बाद वापसी हो रही है- एक नई शुरुआत के साथ। पहली बार कोई महिला क्रिकेटर ये लेक्चर देंगी- 27 दिसंबर को क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया में

Charanpal Singh Sobti
By Charanpal Singh Sobti December 28, 2022 • 10:53 AM
Cricket Tales
Cricket Tales (Image Source: Google)
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Cricket Tales - बीसीसीआई द्वारा आयोजित, सालाना दिलीप सरदेसाई मेमोरियल लेक्चर की कोविड के बाद वापसी हो रही है- एक नई शुरुआत के साथ। पहली बार कोई महिला क्रिकेटर ये लेक्चर देंगी- 27 दिसंबर को क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया में और ये सम्मान मिल रहा है झूलन गोस्वामी को। सुनील गावस्कर, कपिल देव और बिशन सिंह बेदी जैसे दिग्गज ये लेक्चर दे चुके हैं।

कोई ख़ास बात होगी तभी तो बोर्ड ने दिलीप सरदेसाई के सम्मान में इस लेक्चर की शुरुआत की। सरदेसाई,1960 और 1970 के दशक में मुंबई की बल्लेबाजी के मजबूत आधार में से एक थे। टेस्ट रिकॉर्ड- 30 मैचों में 39.23 औसत से 2001 रन, 5 शतक- आज ये साधारण रिकॉर्ड लग सकता है लेकिन हेलमेट युग से पहले ये रन कम नहीं थे। 1962 के वेस्टइंडीज टूर में वे उन क्रिकेटरों में से एक थे जिन्होंने हिम्मत से वेस्टइंडीज के पेस अटेक का सामना किया। 1970 आते-आते कई छोटे स्कोर उन्हें टीम से बाहर करने की वजह बन गए थे।

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इस तरह, वे तो किसी स्कीम में नहीं थे पर इतिहास ये है कि जब अजीत वाडेकर को कप्तान बनाया 1971 के वेस्टइंडीज टूर के लिए तो उन्होंने सरदेसाई को टीम में शामिल करने पर जोर दिया। उस 5 टेस्ट की सीरीज में, सरदेसाई ने एक दोहरे सहित तीन शतक बनाए- कुल 642 रन और इससे ज्यादा रन सिर्फ युवा सुनील गावस्कर (774) के थे।

अब आपको ये बताते हैं कि वास्तव में वे वेस्टइंडीज़ गई उस टीम में आए कैसे थे? सब वेस्टइंडीज टूर के कप्तान की बात करते हुए बस इतना कह देते हैं कि चीफ सेलेक्टर विजय मर्चेंट के कास्टिंग वोट ने नवाब पटौदी की जगह अजीत वाडेकर को कप्तान बनाया। असल में ये भारत के समाज में आ रहे बदलाव का प्रतीक था। एक प्रिंस के मुकाबले में कप्तान बनाया एक 'आम आदमी' को। टीम में 16 खिलाड़ी चुनने थे।15 चुने जा चुके थे और उनमें सरदेसाई का नाम नहीं था।

कई साल बाद अजीत वाडेकर ने राज खोला- वे नए थे और इन 15 खिलाड़ी के चुने जाने में उनसे पूछा तक नहीं गया था। अब बची थी एक जगह। यहां, विजय मर्चेंट ने अजीत वाडेकर से कहा- एक खिलाड़ी अपनी मर्जी का चुन लो। वाडेकर और सरदेसाई कॉलेज टीम में भी साथ-साथ खेले थे। वाडेकर टीम में किसी ऐसे को चाहते थे जिसे पहले से जानते हों और उस पर पूरा भरोसा कर सकें। इसलिए जैसे ही एक खिलाड़ी चुनने का मौका मिला तो बिना देरी, दिलीप सरदेसाई का नाम ले दिया। विजय मर्चेंट खुश नहीं थे वाडेकर की पसंद से पर चूंकि अजीत को खुद मौका दिया था इसलिए चुप हो गए और सरदेसाई टीम में आ गए। शायद सरदेसाई को इसी मौके का इंतजार था।

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एक और किस्सा इस बारे में कतई चर्चा में नहीं आता- उसी ने तो सरदेसाई में ये विश्वास पैदा किया कि वे वेस्टइंडीज में उनकी जोरदार गेंदबाजी पर भी रन बना सकते हैं। वेस्टइंडीज जाते हुए टीम इंडिया न्यूयार्क में रुकी- वहां से दूसरी फ्लाइट लेनी थी। उन दिनों में, आज की तरह से ढेरों फ्लाइट/कनेक्शन नहीं होते थे। इसलिए टीम रुकी न्यूयार्क में। संयोग से उसी दौरान, बॉक्सिंग रिंग में वर्ल्ड हैवीवेट चैंपियन मोहम्मद अली और जो फ्रेजियर के बीच मुकाबला था। ये वो मुकाबला था जिसकी पूरी दुनिया में धूम थी- चर्चा थी। सब ने कहा- अली के सामने कुछ मिनट भी टिक नहीं पाएंगे फ्रेजियर। ये बॉक्सिंग मुकाबला भारतीय क्रिकेटरों ने भी देखा और उसमें फ्रेजियर ने अली को हराकर पूरी दुनिया को हैरान कर दिया। किसी ने भी सोचा नहीं था कि ऐसा होगा। सरदेसाई के अंदर भी इसी से चिंगारी फूटी- अगर फ्रेजियर हरा सकते हैं अली को तो वे वेस्टइंडीज में ढेरों रन क्यों नहीं बना सकते? उसके बाद जो हुआ- वह इतिहास है।


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