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बिना किसी स्कीम, भारत ने खेला था पहला वन डे इंटरनेशनल

कहानी भारतीय क्रिकेट टीम के पहले वनडे मुक़ाबले की  एक रिकॉर्ड बन गया और एक बनने वाला है। जो बनने वाला है : भारत और वेस्टइंडीज 6 फरवरी को जो वन डे मैच खेलेंगे- वह भारत का 1000 वां वन

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Indian Cricket Team First Ever ODI
Indian Cricket Team First Ever ODI (Image Source: Google)
Charanpal Singh Sobti
By Charanpal Singh Sobti
Jan 31, 2022 • 11:59 AM

कहानी भारतीय क्रिकेट टीम के पहले वनडे मुक़ाबले की 

Charanpal Singh Sobti
By Charanpal Singh Sobti
January 31, 2022 • 11:59 AM

एक रिकॉर्ड बन गया और एक बनने वाला है।

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जो बनने वाला है : भारत और वेस्टइंडीज 6 फरवरी को जो वन डे मैच खेलेंगे- वह भारत का 1000 वां वन डे मैच होगा। अगर 1000 वें मैच की बात करेंगे तो क्या उस पहले वन डे की बात नहीं करेंगे?

जो बन गया : भारत के उस पहले वन डे में कप्तान अजीत वाडेकर और आख़िरी वन डे कप्तान केएल राहुल में एक गज़ब की समानता है- भारत के लिए, दोनों एक से ज्यादा वन डे में कप्तान रहे पर एक भी वन डे मैच नहीं जीता है।

दोनों के हिस्से में ये दुर्भाग्य पहली ही सीरीज का है। राहुल का किस्सा तो अभी नया नया है- इन दोनों रिकॉर्ड के मद्देनजर अजीत वाडेकर और भारत के पहले वन डे की बात करते हैं।

1974 के इंग्लिश सीजन में भारतीय क्रिकेट टीम इंग्लैंड टूर पर गई। उन दिनों इंग्लैंड में खेलना अलग तरह का अनुभव था- कम जाते थे और वहां का मौसम और पिचें समझ ही नहीं आते थे। सीजन के पहले हॉफ में खेलना तो और भी मुश्किल था ठंड और बारिश की वजह से। टीम ने तीन टेस्ट और दो वन डे मैच खेले। जब तक वन डे शुरू हुए, वाडेकर की टीम न सिर्फ तीनों टेस्ट हार चुकी थी, आपसी गुटबाज़ी और अन्य विवाद ने टीम को तोड़ दिया था। उस पर किसी को भी सही तरीके से ये नहीं मालूम था कि इन मैचों को खेलने की स्ट्रेटजी क्या होती है?

5 जनवरी, 1971 को मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड में ऑस्ट्रेलिया-इंग्लैंड पहला वन डे खेला गया था। जुलाई 1974 में ,इंग्लैंड के विरुद्ध अपना पहला वन डे खेलने के दौरान भारत को इन मैचों की बिरादरी में शामिल होने में लगभग साढ़े तीन साल लग गए थे ।

तब भी भारत ने 265 रन बनाकर उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया। वन डे के बेहतर अनुभव से इंग्लैंड ने 23 गेंद रहते जीत की। सच ये है कि शुरुआती दौर में इंग्लैंड जरूरी रन रेट से पीछे था लेकिन एड्रिच (90 रन 97 गेंद में) ने भारतीय उम्मीदों को झटका दिया। उस पर बिना वजह, वाडेकर ने डिफेंसिव फील्ड सेटिंग का सहारा लिया। नतीजा ये कि अपनी मर्जी से एक-दो रन बनाते हुए लक्ष्य के करीब पहुंच गए। और भी बड़ा घोटाला ये कि आखिरी दो ओवर भारी बारिश में खेले गए। इस दौरान ग्रेग, नॉट और ओल्ड ने जरूरी रन बनाए। वास्तव में मैच रोक दिया जाना चाहिए था। आज ऐसी बारिश में खेलने की बात सोच भी नहीं सकते। भारत ने कोई विरोध नहीं किया- ये टीम के टूटे मनोबल और कमजोर कप्तानी का एक और सबूत था।

सुनील गावस्कर ने मुंबई के ही सुधीर नाइक के साथ पारी की शुरुआत की और 44 रन जोड़े- गावस्कर ने खुद 35 गेंदों पर 28 रन बनाए। भारत के हीरो थे ब्रजेश पटेल (टेस्ट सीरीज में 4 पारी में 10 रन) और 78 गेंद में 82 रन बनाए। इसी बदौलत इंग्लैंड को चुनौती देने वाला स्कोर बना सके थे।

कई साल बाद, जब कमेंट्री बॉक्स में इस मैच को गावस्कर से बात करते हुए याद किया जा रहा था, तो गावस्कर ने बताया -'वह अनुभव पूरी तरह से अलग था क्योंकि कोई रंगीन किट नहीं थी, मैच लाल गेंद से खेले जाते थे और लाल गेंद ज्यादा स्विंग करती थी।

गावस्कर से पूछा गया कि भारत इस पहले वनडे में क्या पॉलिसी /स्कीम बनाकर खेला? गावस्कर ने जवाब दिया- 'ये क्या होती है?' गावस्कर ने आगे कहा- 'उन दिनों वन डे के लिए कोई पॉलिसी या स्कीम नहीं होती थी। सिर्फ टेस्ट, कोई स्कीम बनाकर खेलते थे। वन डे के लिए तब माहौल बड़े सुकून वाला होता था- जाओ, और अपनी सोच से खेल लो!'

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इस टूर ने अजीत वाडेकर का करियर खत्म कर दिया और भारत पर वन डे क्रिकेट में 'अनाड़ी' का जो लेबल लगा- उसे हटाने में कई साल लग गए।

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