राज्यों के मताधिकार के फैसले का अधिकार सुप्रीम कोर्ट को, बीसीसीआई वकील ने कही ऐसी बात
7 अगस्त। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (सीओए) के प्रमुख विनोद राय ने सोमवार को कहा था कि 26 राज्य संघ बीसीसीआई के नए संविधान पूरी तरह अपना चुके हैं से बंधे हुए हैं और इन्होंने चुनाव कराने के लिए चुनाव अधिकारी भी नियुक्त कर लिए हैं।
चार संघों ने हालांकि अभी चुनाव अधिकारी नियुक्त नहीं किया है। राय ने यह भी कहा कि संविधान के किसी भी नियम का उल्लंघन राज्य संघों को चुनाव से अयोग्य कर देगा लेकिन सुप्रीम कोर्ट के वकीलों और राज्य संघों का कहना है कि यह निर्णय लेना सीओए का नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में आता है।
आईएएनएस से बात करते हुए राज्य संघों के वकील अनमोल चिंताले ने साफ कर दिया कि जहां तक राज्य संघों की बात है तो यह निर्णय लेना कि किसी राज्य संघ ने नए संविधान के नियमों का पालन किया है या नहीं, सुप्रीम कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में आता है, न कि सीओए के अधिकार क्षेत्र में। सीओए को यह काम दिया गया है कि वह कोर्ट को यह बताए कि कितने राज्य संघों ने बीसीसीआई के संविधान का पालन किया है।
अनमोल ने कहा, "बीसीसीआई के नए संविधान को सुप्रीम कोर्ट ने पास किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्य संघों को अपने संविधान को बीसीसीआई के संविधान के आधार पर ही बनाना होगा। सभी राज्य संघों ने या तो अपने संविधान में संशोधन किया और उसे पंजीकृत कराया या फिर उसे भंग करते हुए बीसीसीआई के संविधान को लागू किया। यही संविधान सीओए को भेजे गए हैं ताकि वह इस बात की जांच कर सके कि वे सही तरीके से तैयार किए गए हैं या नहीं। इस पर सीओए ने कुछ ऐसे प्वाइंट्स का जिक्र करते हुए उन्हें राज्य संघों को भेज दिया कि कुछ मामलों में उनका संविधान बीसीसीआई के संविधान से मेल नहीं खाता है।"
बीसीसीआई वकीक गुंजन ऋषि ने कहा कि यह हालात इसलिए पैदा हुआ है क्योंकि 'सिमिलर लाइंस' का राज्य संघों ने अपने हिसाब से अलग-अलग अर्थ लगाया। सीओए ने बाद में साफ किया कि इसका मतलब जस का तस है लेकिन इसके बावजूद राज्य संघ इसे लेकर स्थिति साफ करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से पास गए। इसी बीच, सीओए ने तमाम शंकाओं के बीच यह अर्थ लगा लिया कि राज्य संघ सुप्रीम कोर्ट द्वारा पास किए गए संविधान के आधार पर काम करने के लिए तैयार नहीं हैं।
ऐसे में जबकि यह मामला सुप्रीम कोर्ट के पास है और वह जब तक शंकाओं का समाधान नहीं कर देता, तब तक सीओए यह निर्णय नहीं ले सकता कि राज्य संघों द्वारा तैयार संविधान मूल संविधान से मेल खाता है या नहीं। इसे लेकर जल्दबाजी की जा रही है और इसी कारण चुनावों को लेकर विनोद राय का हालिया बयान आया है।