'मेरी डिक्शनरी में नेचुरल कुछ नहीं होता, सूर्या ने भी बहुत गाली खाई होगी': दीपक चाहर
चेन्नई सुपर किंग्स के स्टार गेंदबाज़ दीपक चाहर हाल ही में गौरव कपूर के शो ब्रेकफास्ट विद चैंपियंस में नज़र आए। यहां उन्होंने अपने करियर से जुड़े ऐसे कई किस्से शेयर किये जिनके बारे में क्रिकेट फैंस ज्यादा नहीं जानते। इसी बीच दीपक चाहर ने नेचुरल प्लेयर और नेचुरल टैलेंट जैसे शब्दों को नाकार। चाहर का मानना है कि कुछ भी चीज नेचुरल नहीं होती आप अपने शुरुआती दिनों में जिस तरह से खुद को ट्रेन करते हो वही आपकी बाद में ताकत बन जाती है।
दीपक चाहर अपनी लहराती गेंदों से विपक्षी बल्लेबाज़ों को खूब परेशान करते हैं। स्विंग बॉलिंग दीपक चाहर की ताकत है। इसी पर बातचीत करते हुए दीपक ने बड़ी बात कही। वह बोले, 'मुझसे लोग पूछते हैं कि स्विंग बॉलिंग कैसे सीखी। मेरे पापा को पता था कि इनस्विंग और आउट स्विंग बॉलिंग होती है। मैं बचपन में सीम प्रैक्टिस करता था। मैं रोज 500 बॉल फेंका करता था।'
उन्होंने आगे कहा, 'मैं रोज 250 इनस्विंग और 250 आउट स्विंग किया करता था। आज मुझसे कोई पूछने आएगा और मैं उसे बताऊंगा सीम प्रैक्टिस जरूरी है वो कर लो। मैं उन्हें 50 बॉल डेली करने को कहूंगा तो वो लोग 50 बॉल भी नहीं करेंगे। मैंने 500-500 फेंकी है। लोग बोलते हैं ये नेचुरल स्विंग बॉलर हैं। मैं डिक्शनरी में ऐसा कुछ नहीं होता। जिसका आप अभ्यास करोगे वो आप सबसे ज्याद करते हो वो आपका अच्छा हो जाता है।'
यहां चेन्नई सुपर किंग्स के स्टार गेंदबाज़ ने मिस्टर 360 यानी सूर्यकुमार यादव का उदाहरण दिया। चाहर ने कहा ऐसा नहीं कि जो सूर्या आज शॉट मार रहा है वो उसने अभी खेलने शुरू किये। उन्होंने बचपन से उनकी प्रैक्टिस की होगी। वो ये शॉट खेलते हुए कई बार आउट हुआ होगा। कोच से डांट सुनी होगी... गाली भी खाई होगी। उसका सेलेक्शन भी नहीं हुआ होगा। लेकिन वो करता रहा अब आप बोल रहे हो ये शॉट उसका नेचुरल है। नेचुरल कुछ नहीं है उनसे अपने शॉट की खूब प्रैक्टिस की होगी।
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बता दें कि इसके अलावा दीपक चाहर ने यह भी खुलासा किया कि उनके क्रिकेटर बनने के सपने को पूरा करने के लिए उनके पापा ने भी उनका खूब साथ दिया। वहीं महेंद्र सिंह धोनी की तरफ से उन्हें काफी सपोर्ट मिला है। दीपक चाहर ने थाला धोनी की तारीफ करते हुए एक किस्सा साझा करके यह भी बताया कि जब मैं चेन्नई सुपर किंग्स टीम में आया तब एक बार टीम डिनर के दौरान दो टेबल रखी हुई थी। एक पर सीनियर बैठे हुए और एक पर जूनियर... ऐसे में जब माही भाई आए तो उन्होंने जूनियर के साथ बैठकर खाना खाया। माही भाई को जो भी ठीक लगता है वह सिर्फ वही करते हैं।