मनोज तिवारी ने कहा क्रिकेट को अलविदा, लंबा चौड़ा पोस्ट लिखकर कहा शुक्रिया
भारतीय क्रिकेटर मनोज तिवारी ने क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास का ऐलान कर दिया है। 37 साल के मनोज तिवारी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से एक लंबा चौड़ा इमोशनल पोस्ट लिखते हुए अपने क्रिकेट करियर पर विराम लगाने की बात कही है। पश्चिम बंगाल के लिए घरेलू क्रिकेट खेलते हुए तिवारी ने कई शानदार पारियां खेली और बंगाल क्रिकेट को आगे ले जाने में अहम भूमिका निभाई।
मनोज तिवारी ने साल 2015 में टीम इंडिया के लिए अपना आखिरी मुकाबला खेला था। 2008 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत करने वाले मनोज ने अपना आखिरी मैच जिम्बाबे के खिलाफ खेला था। मनोज तिवारी ने भारत के लिए 12 वनडे मैच खेले जिसमें 12 पारियों में उन्होंने 287 रन बनाए। इन 12 पारियों में एक शतक और अर्धशतक भी शामिल है।
इसके अलावा उन्होंने गेंद से भी पांच विकेट हासिल किए थे। भारत के लिए तीन टी-20 मैच खेलने वाले मनोज तिवारी ने आईपीएल के 98 मैचों में भी शिरकत की जहां उन्होंने 85 पारियों में 1695 रन बनाए। जिसमें सात अर्धशतक शामिल है। तिवारी के रिटायरमेंट का ऐलान करने से सबसे बड़ा झटका बंगाल क्रिकेट को लगा है क्योंकि वो हाल ही में काफी अच्छी फॉर्म में थे लेकिन अब उनके संन्यास लेने से बंगाल की टीम में एक बड़ी जगह खाली हो जाएगी जिसे भरना आसान नहीं होगा।
अपने आधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंट से एक लंबा चौड़ा पोस्ट शेयर करते हुए तिवारी ने लिखा, 'क्रिकेट के खेल को अलविदा। इस खेल ने मुझे सब कुछ दिया है, मेरा मतलब है कि हर एक चीज़ जिसके बारे में मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था, उस समय से लेकर जब मेरे जीवन को विभिन्न प्रकार की कठिनाइयों से चुनौती मिली थी। मैं इस खेल और भगवान का हमेशा आभारी रहूंगा, जो हमेशा मेरे पक्ष में रहे। इस अवसर पर मैं उन लोगों के प्रति अपनी हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करता हूं जिन्होंने मेरी क्रिकेट यात्रा में भूमिका निभाई है। मेरे बचपन से लेकर पिछले साल तक मेरे सभी कोचों को धन्यवाद, जिन्होंने मेरी क्रिकेट उपलब्धियों में भूमिका निभाई है।'
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आगे लिखते हुए तिवारी ने कहा, 'मेरे पिता तुल्य कोच मानवेंद्र घोष क्रिकेट यात्रा में स्तंभ रहे हैं। अगर वो नहीं होते तो मैं क्रिकेट जगत में कहीं नहीं पहुंच पाता। धन्यवाद सर और आपके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं, क्योंकि आपका स्वास्थ्य ठीक नहीं चल रहा है। मेरे पिताजी और मां को धन्यवाद, उन्होंने कभी मुझ पर पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने का दबाव नहीं डाला बल्कि उन्होंने मुझे क्रिकेट में बने रहने के लिए प्रोत्साहित किया। मेरी पत्नी को बहुत-बहुत धन्यवाद, जो मेरे जीवन में आने के बाद से हमेशा मेरे साथ रही हैं। उनके निरंतर समर्थन के बिना, मैं जीवन में उस मुकाम तक नहीं पहुंच पाता जहां मैं आज हूं और मेरे सभी साथियों, पूर्व और वर्तमान, और बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन और एसोसिएशन के सभी सदस्यों को, जिन्होंने मेरी यात्रा में भूमिका निभाई है। मैं उन क्रिकेट प्रशंसकों का जिक्र कैसे नहीं कर सकता, जिन्होंने मेरे उतार-चढ़ाव के दौरान मेरा साथ दिया और मुझे आज की दुनिया में एक क्रिकेट हस्ती बनाया। मेरे दिल की गहराइयों से बहुत-बहुत धन्यवाद। इतना ही।'