आईपीएल फ़्रैंचाइज़ियों की मांग : हर पांच साल में हो बड़ी नीलामी, खिलाड़ियों को रिटेन करने में भी मिले छूट
आईपीएल की एक फ़्रैंचाइज़ी के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार तीन वर्ष के बजाय बड़ी नीलामी का हर पांच वर्ष की अवधि में आयोजन अधिक फ़ायदेमंद है। इससे फ़्रैंचाइज़ी को युवा ख़ासकर अनकैप्ड खिलाड़ियों को तैयार करने के लिए पर्याप्त समय मिल पाएगा। ऐसी फ़्रैंचाइज़ी जो पहले सीज़न से इस टूर्नामेंट का हिस्सा हैं, उन्होंने युवा प्रतिभाओं की ख़ोज करने में काफ़ी निवेश किया है। उन्होंने प्रतिभाओं को तलाशने और उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर के लिए तैयार करने के उद्देश्य के साथ क्रिकेट अकादमी भी स्थापित की हैं। हर पांच वर्ष में बड़ी नीलामी का आयोजन टीमों को ऐसा करते रहने के लिए प्रेरित करेगा लेकिन हर तीन वर्ष की अवधि में बड़ी नीलामी का आयोजन होने से टीमों को उन प्रतिभाओं को अपने खेमे से प्रतिद्वंद्वी खेमे में चले जाने आशंका बनी रहती है, जिन्हें उन्होंने ख़ुद तैयार किया है।
क्रिकइंफो की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दशक में दो बार ऐसा हुआ है जब आईपीएल की बड़ी नीलामी चार वर्ष के अंतराल पर हुई है। पहली बार ऐसा 2017 में हुआ था, उस वर्ष बड़ी नीलामी 2014 के बाद पहली बार आयोजित हुई थी क्योंकि उस समय चेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रॉयल्स दो साल के प्रतिबंध (2016 और 2017) के बाद वापसी कर रहे थे। कोरोना महामारी के चलते इसके बाद अगली बड़ी नीलामी 2021 में आयोजित हुई। दोनों ही अवसरों पर फ़्रैंचाइज़ियों के पास अपने खिलाड़ियों का अनुबंध एक वर्ष के लिए बढ़ाने की सुविधा थी।
प्रयोग के तौर पर अधिकारी ने एक और सुझाव दिया कि फ़्रैंचाइज़ियों को दो बड़ी नीलामियों के बीच खिलाड़ियों के साथ सीधे तौर पर उनके वेतन पर मोलभाव करने की अनुमति मिलनी चाहिए। अधिकारी के मुताबिक इससे टीमें ना सिर्फ़ अपने प्रमुख खिलाड़ियों को रिटेन कर पाएंगी बल्कि इससे उन खिलाड़ियों को भी फ़ायदा पहुंचेगा जिन्हें पिछली नीलामी के दौरान उनके बेस प्राइस या कम मूल्य पर ख़रीदा गया। यह पूरी प्रक्रिया पारदर्शी होगी और आईपीएल के साथ इसकी जानकारी साझा की जाएगी। हालांकि अधिकारी के मुताबिक इस पूरी प्रक्रिया का नियंत्रण टीमों के पास होना चाहिए और इस दौरान खिलाड़ियों के पास रिलीज़ होने की सुविधा नहीं होनी चाहिए।
राइट टू मैच का विकल्प
एक आईपीएल फ़्रैंचाइज़ी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने कहा, ''टीमों को एक बड़े खिलाड़ी, संभवतः कप्तान को रिटेन करने की अनुमति होनी चाहिए और इसके अलावा अन्य खिलाड़ियों को बतौर आरटीएम शामिल किए जाने की छूट मिलनी चाहिए। उनके मुताबिक इससे बाज़ार के पास खिलाड़ियों का मूल्य निर्धारित करने की सुविधा होगी और इसके साथ ही इससे उन खिलाड़ियों के बीच निराशा भी दूर होगी जो रिटेंशन ऑर्डर में अंतिम होते हैं।
2017 की नीलामी में इसे उपयोग में लाया गया था, जब रिटेंशन और आरटीएम को मिलाकर टीमों को अधिकतम पांच खिलाड़ियों को रिटेन करने की अनुमति दी गई थी। उस नीलामी से पहले टीमें अधिकतम तीन खिलाड़ियों को रिटेन कर सकती थीं जबकि अधिकतम तीन अन्य खिलाड़ियों को आरटीएम का इस्तेमाल कर अपने दल में शामिल कर सकती थीं। अगर किसी फ़्रैंचाइज़ी ने नीलामी से पहले तीन खिलाड़ियों को रिटेन नहीं किया था तब बड़ी नीलामी में भी वह आरटीएम के ज़रिए अधिकतम तीन खिलाड़ियों को ही अपने दल में शामिल कर सकती थीं। आरटीएम, टीमों को बोली के समापन के बाद अपने खिलाड़ियों को अपनी सबसे बड़ी बोली के बराबर की रक़म पर दोबारा ख़रीदने की सुविधा देता है।
हालांकि एक टीम के अधिकारी के मुताबिक यह विकल्प सिर्फ़ कुछ फ़्रैंचाइज़ियों के लिए ही फ़ायदे का सौदा है। अधिकारी के अनुसार अगर आरटीएम से दल में शामिल किए गए खिलाड़ी को नीलामी से पहले रिटेन किए गए खिलाड़ी से अधिक रक़म पर शामिल किया जाता है तब इससे खिलाड़ियों के बीच असंतोष भी पैदा हो सकता है। जब 2022 की बड़ी नीलामी में दो नई टीमें, गुजरात टाइटंस और लखनऊ सुपर जायंट्स की एंट्री हुई थी तब अन्य आठ टीमों को चार खिलाड़ियों को रिटेन करने की सुविधा दी गई थी। यह टीमें दो अलग अलग तरह से इन खिलाड़ियों को रिटेन कर सकती थीं, तीन भारतीय और एक विदेशी खिलाड़ी या दो भारतीय और दो विदेशी खिलाड़ी। आरटीएम की सुविधा तब नहीं थी क्योंकि आईपीएल चाहता था कि लखनऊ और गुजरात के पास अपनी टीम बनाने के लिए खिलाड़ियों की बड़ी संख्या का विकल्प मौजूद हो।
चुनौती जिसका हर टीम को सामना करना है
इस बार हर फ़्रैंचाइज़ी को पता है कि उन्हें कम से कम एक समान चुनौती का सामना करना है। पिछली नीलामियों में जो खिलाड़ी अनकैप्ड थे और जिन्हें कम राशि में ख़रीदा गया था, इस अवधि में वे अब भारत के लिए खेल चुके हैं और मैच विनर खिलाड़ियों में तब्दील हो चुके हैं। वे रिटेन होने के बजाय नीलामी में जाना अधिक पसंद करेंगे। खिलाड़ी के दृष्टिकोण से यह सोच एकदम सही लग सकती है लेकिन वैसी टीमें जिन्होंने उन्हें तैयार किया वे ज़रूर अपना नियंत्रण चाहेंगी।
इसका एक समाधान आईपीएल को एक फ़्रैंचाइज़ी ने यह दिया है कि रिटेंशन को समाप्त कर टीमों को अधिकतम आठ आरटीएम कार्ड के उपयोग की छूट दी जा सकती है। इस विचार को अन्य टीमों द्वारा मिली जुली प्रतिक्रिया ही मिली। कुछ टीमों का मानना है कि इससे एक लेवल प्लेइंग फ़ील्ड तैयार होगी जबकि अन्य टीमों का मानना है कि वे अपने खिलाड़ियों को नीलामी में नहीं दे सकतीं। हालांकि इससे प्रतिद्वंद्वियों द्वारा नीलामी की रणनीति को प्रभावित करने के लिए बढ़ा चढ़ाकर बोली लगाए जाने की आशंका भी पैदा होती है।
इस बार हर फ़्रैंचाइज़ी को पता है कि उन्हें कम से कम एक समान चुनौती का सामना करना है। पिछली नीलामियों में जो खिलाड़ी अनकैप्ड थे और जिन्हें कम राशि में ख़रीदा गया था, इस अवधि में वे अब भारत के लिए खेल चुके हैं और मैच विनर खिलाड़ियों में तब्दील हो चुके हैं। वे रिटेन होने के बजाय नीलामी में जाना अधिक पसंद करेंगे। खिलाड़ी के दृष्टिकोण से यह सोच एकदम सही लग सकती है लेकिन वैसी टीमें जिन्होंने उन्हें तैयार किया वे ज़रूर अपना नियंत्रण चाहेंगी।
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आईपीएल और फ़्रैंचाइज़ियों के बीच होने वाली अगली बैठक में अन्य तमाम विचारों पर चर्चा होने की उम्मीद है। इसमें इंपैक्ट प्लेयर नियम पर चर्चा हो सकती है, जिसको लेकर टीमों के बीच मिली जुली राय है। 2025 की नीलामी के लिए पर्स और रिटेन खिलाड़ियों के सैलरी स्लैब पर भी चर्चा होने की उम्मीद है।