चपरासी बनने लायक तक नहीं समझते थे पिता, साधु मुरली विजय ने क्यों की DK की पत्नी से शादी
टेस्ट क्रिकेट में सालों तक अपने प्रदर्शन से टीम इंडिया के लिए कई अहम पारी खेलने वाले मुरली विजय आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। तमिलनाडु के एक छोटे कस्बे में जन्में मुरली विजय (Murali Vijay) को बचपन से ही पढ़ाई से ज्यादा खेल पसंद था। प्राइमरी स्कूल के अंत में मुरली विजय की रूची क्रिकेट में बढ़ी और ये दीवानगी इस हद तक बढ़ी कि मुरली विजय पूरा-पूरा दिन क्रिकेट खेलने लगे। मुरली विजय की पढ़ाई पर उनके खेल का गहरा असर पड़ा।
पिता के गुस्से का किया सामना: 12वीं बोर्ड परीक्षा में मुरली विजय के 40% अंक आए जिसके चलते उन्हें अपने पिता के गुस्से का सामना करना पड़ा। खबरों की मानें तो मुरली विजय के पिता उनसे इतना नाराज हो गए कि गुस्से में उन्होंने उनसे कह दिया कि तुम अपने जीवन में कभी चपरासी तक नहीं बन सकते। पिता की बात मुरली विजय ने दिल पर ले ली थी।
17 साल की उम्र में छोड़ दिया था घर: मुरली विजय केवल 17 साल के थे, जब उन्होंने खुद को खोजने के लिए घर छोड़ दिया। घर छोड़ने के बाद मुरली विजय ने स्नूकर क्लब में काम किया और वहीं पर रहने लगे। इस दौरान उन्होंने जो पैसे कमाए उससे उन्होंने आगे की पढ़ाई कंटिन्यू की। घर से बाहर रहते हुए मुरली विजय ने क्रिकेट के अलावा पढ़ाई भी जारी रखी।
क्रिकेट में प्राप्त है साधु की उपाधि: शांत स्वभाव और संतुलित व्यक्तित्व के चलते इंटरनेशनल क्रिकेट में मुरली विजय को साधु की उपाधि से जाना जाता है। आईपीएल सीजन 5 के दौरान मुरली विजय की नजदीकियां दिनेश कार्तिक की पत्नी निकिता बंजारा से बढ़ीं। धीरे-धीरे ये नजदीकियां प्यार में बदलीं और मुरली विजय ने निकिता बंजारा से शादी कर ली।
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टेस्ट क्रिकेट में छोड़ी है छाप: मुरली विजय ने भारत के लिए कुल 61 टेस्ट मैच खेले जिसमें उनके बल्ले से 38.9 की औसत से 3982 रन निकले। मुरली विजय ने इंटरनेशनल क्रिकेट में कुल 12 शतक जड़े। वहीं आईपीएल में भी मुरली विजय ने 2 शतक के दमपर 2619 रन बनाए हैं।