Cricket Tales: 60 साल पहले इंग्लिश समर में जो शुरुआत हुई थी उसी से आईपीएल तक पहुंचे हैं

Updated: Tue, May 23 2023 08:50 IST
When Gillette Cup Changed Cricket From Test To Limited Overs (Image Source: Google)

आईपीएल के उस फाइनल मुकाम तक आ पहुंचे हैं जिसके लिए 10 टीम के खिलाड़ियों और स्टॉफ ने ही नहीं, पूरी क्रिकेट की दुनिया में क्रिकेट के दीवानों ने कई घंटे दिए। आज सब आईपीएल और टी20 क्रिकेट की बात करते हैं और किसी को याद भी नहीं रहा कि लगभग इन्हीं दिनों में 60 साल पहले, इंग्लैंड में क्रिकेट खेलने के तरीके में वह सबसे बड़ा बदलाव हुआ था जिसकी बदौलत आज की आईपीएल तक पहुंचे।

Cricket Tales: 60 साल पहले इंग्लिश समर में जो शुरुआत हुई थी उसी से आईपीएल तक पहुंचे हैं 

इंग्लैंड में 60 साल पहले की समर यानि कि 1963 और कहा जाता है कि ये वो सीजन था जिसने दुनिया को सेक्स, बीटल्स… और वनडे क्रिकेट दिए। तब, वास्तव में इसे वनडे नहीं, लिमिटेड ओवर क्रिकेट कहते थे क्योंकि पहली बार, पारी को ओवर की गिनती में बांध कर खेल रहे थे। उस इंग्लिश समर ने क्रिकेट को बदल दिया।

जब इंग्लैंड ने वनडे क्रिकेट के मैच एक ट्रॉफी के तौर पर खेलने का फैसला लिया तो एकदम इसका पहला टूर्नामेंट नहीं शुरू किया 1963 में। प्रयोग के तौर पर 1962 में मिडलैंड्स क्लबों का टूर्नामेंट खेले और नया टूर्नामेंट, 1 मई 1963 से ओल्ड ट्रैफर्ड में, इसके स्पांसर के नाम पर- जिलेट कप खेले। पहला मैच लेंकशायर-लेस्टरशायर था जिसमें लेंकशायर ने 304-9 पोस्ट किए 65 ओवर में। ये सच है क्योंकि तब 65 ओवर वाले मैचों के साथ वनडे खेलना शुरू किया था और संयोग देखिए कि पहला ही मैच, खराब मौसम की वजह से दूसरे दिन ख़त्म हुआ और ब्रायन स्टैथम के 5-28 ने लेंकशायर को जीत दिलाई।

कोई इस क्रिकेट से खुश था तो कोई नाराज भी। ख़ास तौर पर, पुराने प्रोफेशनल नाराज थे- उनकी सोच थी कि इस क्रिकेट ने उनका खाली समय छीन लिया। दर्शक खुश थे और धीरे-धीरे मैचों के लिए स्टेडियम भरने लगे। विश्वास कीजिए- तब ये क्रिकेट नहीं, एंटरटेनमेंट ज्यादा था और मैचों की रिपोर्ट, थिएटर के रिव्यू के अंदाज में लिखते थे। जब टी20 शुरू हुए- तब भी ऐसा ही था।

तब फील्डिंग पर कोई प्रतिबंध नहीं था। कप्तान सभी 9 फील्डर बाउंड्री पर भी खड़े कर देते थे। पहली बार, केंट-ससेक्स मैच में, तब के इंग्लिश कप्तान टेड डेक्सटर ने ऐसा किया। पहले दो साल टाइटल ससेक्स ने जीते।

अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिरकार ऐसा क्या हुआ था कि इस तरह की क्रिकेट खेलने के बारे में सोचा? इस सवाल के जवाब के लिए दो गिनती को नोट कीजिए- 1947 की गोल्डन समर में लगभग 2.2 मिलियन दर्शकों ने काउंटी चैम्पियनशिप क्रिकेट को देखा लेकिन 1961 तक, यह गिनती घटकर 969,382 और 1963 तक 719,661 हो गई थी। दर्शक स्टेडियम नहीं आ रहे थे। क्या करें- यही तय करने 1961 में एक कमेटी बनाई जो बताए कि काउंटी क्रिकेट को कैसे बचाएं? इसी ने एक मिड-वीक वनडे नॉकआउट टूर्नामेंट का सुझाव दिया था।

सुझाव पसंद किया गया और दिसंबर 1961 में MCC की `क्रिकेट कमेटी' (जिसमें सभी 17 फर्स्ट क्लास काउंटी शामिल थीं) मीटिंग हुई और लंबी बहस और वोटिंग के बाद इसे मंजूरी मिल गई। कुछ नहीं मालूम था कि इसे खेलना कैसे है?

प्रयोग के लिए मई 1962 में एक मिडलैंड नॉकआउट कप 4 काउंटी टीम के बीच खेले। ये प्रयोग 1963 के जिलेट कप तक ले गया। 26 नवंबर 1962 को जब MCC ने प्रोफेशनल और एम्योचर के बीच के अंतर को खत्म किया तो साथ में नए इवेंट की घोषणा हुई। जिलेट ने पहले स्पांसर के नाते उस साल 6500 पौंड दिए थे- एक ट्रॉफी और अन्य अवार्ड इसी में शामिल थे। मैन ऑफ द मैच अवार्ड यहीं से शुरू हुआ।

तो क्रिकेट थी हर पारी 65 ओवर की और मैच में 130 ओवर, एक गेंदबाज 15 ओवरऔर खराब मौसम के लिए तीन दिन। उस समय की अख़बारों ने इस इवेंट के लिए कोई ख़ास जोश नहीं दिखाया- यहां तक कि नाम तक सही नहीं लिखा। पहला दिन- 1 मई और सुबह से बारिश थी। दोपहर तक खेल शुरू नहीं हुआ था। किसी टीम के पास, इस तरह की क्रिकेट के लिए कोई स्ट्रेटजी नहीं थी। दूसरे हफ्ते चर्चा कुछ बढ़ी पर दर्शक औसतन हर मैच में लगभग 2000 ही थे। सेमीफाइनल तक 7000 हो गए थे और फाइनल को लॉर्ड्स में 24,000 दर्शकों ने देखा।

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जिलेट कप ने एक नई शुरुआत की और इसकी बदौलत ही न सिर्फ इंग्लैंड, अन्य देशों में भी लिमिटेड ओवर क्रिकेट के और टूर्नामेंट शुरू हुए। उसी शुरुआत से अब आईपीएल तक पहुंचे हैं।

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