Cricket History - भारत का इंग्लैंड दौरा 1936

Updated: Thu, Feb 04 2021 18:38 IST
Image source - Google

भारतीय टीम ने साल 1936 में इंग्लैंड का दौरा किया। यह भारत का अंग्रेजों के देश में दूसरा टेस्ट दौरा था। इस दौरान भारत की बागडोर विजयनगरम के महाराजकुमार के हाथों में थी और सभी उन्हें 'विजी' के नाम से जानते थे। वह एक साधारण बल्लेबाज थे जो 9वें नंबर पर बल्लेबाजी करते थे। वो ना तो गेंदबाजी करना जानते थे और नहीं विकेटकीपिंग।

विजयनगरम ने इस दौरान केवल 33 रन बनाए। एक बार उन्होंने विपक्षी कप्तान को सोने की घड़ी देकर उन्हें बहलाने की कोशिश की और कहा कि वो उन्हें फुल टॉस गेंद ही फेंके।

विजी ने इस दौरान कप्तान बनने के लिए एक बड़ी चाल चली थी। जैक-ब्रिटेन जोंस जो विजी के करीबी थे वो उनके मैनेजर भी थे। विजी अपने साथ 36 भारी-भरकम समान और साथ में 2 नौकर लेकर इंग्लैंड पहुंच गए।

आधिकारिक कप्तान ना होने के बावजूद सीएके नायडू कप्तान के रूप में पहली पसंद थे। विजी ने इस बात को भांप लिया और टीम में फूट डालने की कोशिश की और इसमें कामयाब भी हो गए। उन्होंने अपने कैंप के मेंबर को अपने पक्ष में लाने की कोशिश की और उन्हें 'पैरिस' जाने का लालच दिया। बाका जिलानी को यहां तक की ब्रेकफास्ट के टेबल पर सीके नायडू की बेइज्जती करने के लिए टेस्ट डेब्यू करने का मौका मिल गया।

विजी को दौरे पर कप्तान के रूप में चुना गया और नायडू उसी समय लिवरपूल में भारतीय टीम की अगुवाई कर रहे थे। लंकाशायर की टीम 199 रनों का पीछा कर रही थी। विजी ने मोहम्मद निसार को केवल फुल टॉस फेंकने का प्रस्ताव दिया। नायडू को इस बात की जानकारी हो गई और उन्होंने निसार को गेंदबाजी से हटा दिया। उसके बाद जहांगीर खान की मदद से भारत को जीत मिल गई।

 

इंग्लैंड दौरे पर लाला अमरनाथ एक बार सही मैदान पर फील्डिंग ना लगने के कारण आग बबूला हो गए थे। विजी को यह बात पसंद नहीं आई और उन्होंने इसके बाद अमरनाथ से लगातार गेंदबाजी करवाई ये जानते हुए भी कि उनकी पीठ में दर्द है। उसके बाद अमरनाथ ने पंजाबी भाषा में जोर-जोर से विजी को कुछ कहा, नतीजन विजी ने अमरनाथ को बीच दौरे से ही वापस भारत भेज दिया।

बाद में Beamount Committee ने यह ध्यान दिया कि विजी की कप्तानी बेहद "विनाशकारी" है। अमरनाथ निर्दोष साबित हुए और विजी को कप्तानी से बर्खास्त कर दिया गया।

इससे पहले, ओल्ड ट्रेफोर्ड में हुए सीरीज के दूसरे टेस्ट मैच के दौरान एक बड़ी घटना हुई थी। विजय मर्चेन्ट ने विजी को कप्तानी छोड़ने के लिए कहा था। इसके बाद मर्चेन्ट और मुश्ताक अली जब पारी की शुरूआत करने आए तब विजी ने मुश्ताक से मर्चेन्ट को रन आउट कराने के लिए कहा था। हालांकि मुश्ताक अली ने इस बात का खुलासा विजय मर्चेन्ट के सामने कर दिया और दोनों हंसते हुए बल्लेबाजी करने चले गए।

भारत की टीम पहली पारी में 368 रनों से पीछे चल रही थी। मुश्ताक ने इसके बाद एक बेहतरीन शतक जमाया और वो भारत की ओर से विदेशी धरती पर शतक जमाने वाले पहले बल्लेबाज बने। मर्चेन्ट ने भी इसके बाद एक शानदार शतक जमाया। दोनों ने पहले विकेट के लिए 203 रन जोड़े और सीरीज का यह दूसरा टेस्ट मैच ड्रॉ हुआ। बाद में मर्चेन्ट और मुश्ताक की ओपनिंग जोड़ी बहुत प्रसिद्ध हुई। 

हालांकि भारत को इस टेस्ट सीरीज में 2-0 की हार मिली। यह सीरीज मैदान के अंदर और बाहर बुरे कारणों से चर्चा में रही। लेकिन मर्चेन्ट और मुश्ताक की बल्लेबाजी ने भारत को कुछ खुश होने के पल दिए।

Cricket History - भारत का इंग्लैंड दौरा 1986, जब युवा चेतन शर्मा ने गेंदबाज़ी से जीता था दिल

TAGS

संबंधित क्रिकेट समाचार

सबसे ज्यादा पढ़ी गई खबरें