ENG- IND 2021-22 : इंग्लैंड में अधूरी सीरीज का आख़िरी टेस्ट खेल रहे हैं - पर किस ट्रॉफी के लिए?

Updated: Wed, Jun 01 2022 13:34 IST
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आईपीएल ख़त्म और हवा में फिर से लाल गेंद वाली क्रिकेट की खुशबू आने लगी। इधर भारत में रणजी ट्रॉफी नॉक आउट राउंड शुरू हो रहा है तो उधर टीम इंडिया जा रही है इंग्लैंड। तय प्रोग्राम के हिसाब से तो लिमिटेड ओवर मैच ही खेलने थे पर अब एक टेस्ट भी खेलना है। ये टेस्ट है 2021 की अधूरी रही 5 टेस्ट की सीरीज का बचा हुआ आख़िरी टेस्ट- इसलिए हालांकि खेलेंगे एक टेस्ट पर इसे सीरीज का पांचवां टेस्ट गिनेंगे।

सीरीज के जो 4 टेस्ट 2021 में खेले थे उनमें भारत 2-1 से आगे है। जब इस साल 1 जुलाई से शुरू होने वाले एजबेस्टन टेस्ट के साथ, सीरीज खत्म होगी तो विजेता टीम को ट्रॉफी मिलेगी- सवाल यह है कि कौन सी? किसी रिपोर्ट में इस बात का जिक्र नहीं है।

यही बड़ा मजेदार सवाल है। भारत-इंग्लैंड टेस्ट सीरीज, इंटरनेशनल क्रिकेट के सबसे पुराने मुकाबलों में से एक है। भारत ने अपना पहला टेस्ट 1932 में इंग्लैंड के विरुद्ध खेला और अब तक सबसे ज्यादा टेस्ट इंग्लैंड के विरुद्ध खेले हैं। इतना पुराना और ऐतिहासिक आपसी मुकाबला पर किस ट्रॉफी के लिए? हैरानी की बात है कि टेस्ट क्रिकेट सीरीज को कोई पक्का नाम न मिलने से, इस सीरीज को वह चर्चा और महत्व मिलता ही नहीं मिलता, जो मिलना चाहिए।

विजेता को कौन सी ट्रॉफी मिलेगी- इस सवाल का आम जवाब ये कि विजेता को पटौदी ट्रॉफी मिलेगी क्योंकि 2007 में तय हुआ था कि इंग्लैंड-भारत टेस्ट इंग्लैंड में इसी ट्रॉफी के लिए खेलेंगे। विश्वास कीजिए- ये सिर्फ कोरा फैसला साबित हुआ। किसी रिपोर्ट में जिक्र नहीं कि अधूरी पटौदी ट्रॉफी सीरीज का बचा टेस्ट खेलना है या इस बार पटौदी ट्रॉफी को कौन जीतेगा? सच्चाई हैरान करने वाली है।

औपचारिक रिकॉर्ड ये कि ये दोनों टीम भारत में खेलती हैं तो एंथनी डी'मेलो ट्रॉफी के लिए और इंग्लैंड में पटौदी ट्रॉफी के लिए। फिर भी हाल के सालों में किसी विजेता कप्तान को इस नाम वाली ट्रॉफी नहीं मिली। 2021 में, भारत आई, इंग्लैंड के विरुद्ध टेस्ट सीरीज जीतने के बाद विराट कोहली को पेटीएम ट्रॉफी मिली थी और डी'मेलो ट्रॉफी का तो कहीं जिक्र भी नहीं था। इसी तरह इंग्लैंड वाले विजेता को अपने स्पांसर के नाम वाली ट्रॉफी देते हैं।

तो फिर एंथनी डी'मेलो ट्रॉफी और पटौदी ट्रॉफी का क्या हुआ- न BCCI के पास जवाब है और न ECB के पास। आप नोट कीजिए :

  • भारत में विजेता के लिए जो एंथनी डी'मेलो ट्रॉफी देने का सिलसिला 1951 से शुरू हुआ। BCCI के संस्थापकों में से एक थे ये एंथनी डी'मेलो- बोर्ड के सेक्रेटरी भी रहे और 1936 के इंग्लैंड टूर के बीच से लाला अमरनाथ को वापस भेजने के लिए वे ही जिम्मेदार थे।
  • पटौदी ट्रॉफी इंग्लैंड -भारत टेस्ट क्रिकेट सीरीज के लिए इंग्लैंड ने शुरू की- 2007 में इन दोनों टीम के बीच टेस्ट क्रिकेट सीरीज की 75वीं सालगिरह के मौके पर। ट्रॉफी डिजाइन की अवार्ड विजेता ब्रिटिश सिल्वर और गोल्ड स्मिथ जॉक्लिन बर्टन ने और इसे बनाया भी उन्होंने। ट्रॉफी का नाम पटौदी परिवार के नाम पर रखा गया- इफ्तिखार अली खान पटौदी भारत और इंग्लैंड दोनों के लिए टेस्ट खेले जबकि उनके बेटे मंसूर अली खान पटौदी ,भारत के कप्तान और कामयाब क्रिकेटर रहे। इस फैसले में MCC/ECB भी शामिल थे। ट्राफी को 2012 में बेंटले एंड स्किनर, लंदन में जॉक्लिन की प्रदर्शनी में भी इसकी ख़ूबसूरती के लिए प्रदर्शित किया गया।
  • उस समय ECB का सुझाव था कि आगे से सभी इंग्लैंड-भारत टेस्ट सीरीज इसी ट्रॉफी के लिए खेलें पर BCCI ने इंकार कर दिया और कहा वे भारत में मिलने वाली ट्रॉफी का नाम नहीं बदलेंगे। यहीं से गफलत शुरू हो गई।
  • पटौदी परिवार ने BCCI को लिखा भी कि इंग्लैंड का, पटौदी ट्रॉफी का सुझाव मान लो पर BCCI ने इंकार कर दिया इस दलील पर कि एंथोनी डी मेलो के भारतीय क्रिकेट में योगदान को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते।
  • इंग्लैंड में 2011 की सीरीज : मंसूर अली खान पटौदी और शर्मीला टैगोर दोनों ओवल में थे, जहां उन्हें ट्रॉफी देने के लिए आमंत्रित किया था ECB ने। लंच पर रिहर्सल की कि पटौदी ट्रॉफी कैसे देंगे? जब विजेता को ट्रॉफी देने का वक़्त आया तो प्रेज़ेंटर माइक आथर्टन ने पटौदी ट्रॉफी का नाम तक नहीं लिया। प्रोग्राम ख़त्म और टाइगर ट्रॉफी के पास खड़े रह गए। तब, इंग्लैंड के कप्तान एंड्रयू स्ट्रॉस ने टाइगर ऐसे खड़े देखा तो उनके पास गए और टाइगर ने उन्हें ट्रॉफी दे दी- किसी ने नहीं देखा, कोई फोटो नहीं और न ही टेलीकास्ट। भारत लौटने पर टाइगर बीमार पड़ गए और सितंबर में उनका निधन हो गया।
  • मंसूर अली खान पटौदी के निधन के बाद उनका परिवार इस मामले को भूलने लगा। BCCI के पीछे नहीं पड़ा। BCCI ने पटौदी ट्रॉफी का सुझाव कभी नहीं माना पर उनका ये रवैया देखकर इंग्लैंड वाले भी जिस तरह भूले, वह बड़ा खराब है- इस गलती को सुधारने की पहल BCCI को करनी चाहिए थी, पर वे इस मामले का जिक्र तक नहीं करते। आखिरकार ये भारत के एक बड़े क्रिकेटर के सम्मान की बात है।
  • इंग्लैंड में 2014 की सीरीज : शर्मिला टैगोर को फिर से ECB ने विजेता टीम को ट्रॉफी देने आमंत्रित किया। तब भी विजेता को इनवेस्टेक ट्रॉफी दे दी।
  • इंग्लैंड में 2018 की सीरीज : टेस्ट सीरीज के आखिर में विजेता को ट्रॉफी देने ECB के निमंत्रण पर शर्मिला टैगोर इंग्लैंड में ओवल में थीं पर विजेता को पटौदी ट्रॉफी देने का नाम तक नहीं लिया गया- स्पांसर के नाम वाली स्पेकसेवर्स ट्रॉफी दी गई।

इतना सब होने के बाद भी शर्मिला नाराज नहीं हैं BCCI से क्योंकि पटौदी परिवार ने ये मान लिया है कि भारत या इंग्लैंड के बोर्ड को इस बात के लिए मजबूर नहीं कर सकते कि सीरीज के विजेता को पटौदी ट्रॉफी दी जाए।

इंग्लैंड के स्पिनर मोंटी पनेसर ने ट्रॉफी की इस चर्चा में एक नया पेज जोड़ दिया- सुझाव है दोनों टीम की सीरीज एक नई ट्रॉफी के लिए खेलो- 'तेंदुलकर-कुक ट्रॉफी' के लिए। मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर 200 टेस्ट मैच खेलने वाले एकमात्र क्रिकेटर- 15,921 रन और 51 सेंचुरी और एलिस्टेयर कुक ने 161 टेस्ट में 12,472 रन बनाए, जो टेस्ट क्रिकेट में इंग्लैंड की ओर से सबसे ज्यादा हैं।

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