हरभजन राष्ट्रीय टीम चयन प्रक्रिया से खफ़ा, कहा नहीं डीगें उनके हौसले
नई दिल्ली, 03जून (हि.स.) । खराब प्रदर्शन के चलते लंबे समय से टीम से बाहर चल रहे भज्जी ने लय में लौट आने के बाद भी राष्ट्रीय टीम में वापस न लिए जाने पर दुख प्रकट किया है। निराश भारतीय दिग्गज स्पिनर ने ऐसा कर भारतीय क्रिकेट की सेलेक्शन प्रक्रिया पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। लेकिन भज्जी ने कहा है कि लगातार उन्हें नजरअंदाज करने से उनके हौसले डगमगाने वाले नहीं हैं और वह राष्ट्रीय टीम में वापसी के लिए अपना संघर्ष जारी रखेंगे।
आइपीए-7 में भज्जी ने 14 मैचों में 6.47 के तीसरे सर्वश्रेष्ठ इकॉनमी रेट के साथ गेंदबाजी की और 14 विकेट चटकाए। वहीं, जहां आइपीएल-7 के स्टार स्पिनर पंजाब के अक्षर पटेल और केकेआर के सुनील नरेन को टॉप ऑर्डर के बल्लेबाजों से लोहा लेने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा वहीं भज्जी ने ज्यादातर विकेट टॉप ऑर्डर के बल्लेबाजों के ही लिए जिसमें ग्लेन मैक्सवेल और क्रिस गेल जैसे दिग्गज बल्लेबाजों के विकेट शामिल रहे। हालांकि इसके बाद भी राष्ट्रीय टीम के आगामी विदेशी दौरों के लिए घोषित टीम में भज्जी का नाम नदारद रहा। निराश भज्जी ने आखिरकार चयन प्रक्रिया पर अपनी भड़ास निकाल ही दी, उन्होंने कहा, 'मुझे नजरअंदाज किए जाने से निराशा है और ये जाहिर तौर पर अच्छा अहसास नहीं है। हां, राष्ट्रीय टीम में चयन ना होना आपको दुख देता ही है। इस बार के आइपीएल में मेरा प्रदर्शन सबने देखा है। मैं वो ही कर सकता हूं जो मेरे हाथ में है। मैं इतना जरूर कहना चाहूंगा कि इस चयन प्रक्रिया ने बेशक मुझे दुख पहुंचाया है लेकिन मैं हार नहीं मानने वाला। मेरा मानना है कि इस टूर्नामेंट में सभी भारतीय स्पिनरों में मेरा प्रदर्शन सर्वश्रेष्ठ रहा है।'
तकरीबन 700 अंतरराष्ट्रीय विकेट लेने वाले इस 33 वर्षीय अनुभवी स्पिनर को आइपीएल और चैंपियंस लीग जैसे बड़े टूर्नामेंटों में सफलता के बावजूद लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है। इस मामले में चयनकर्चाओं से बात करने और आगे की रणनीति के बारे में पूछे जाने पर भज्जी ने कहा, 'मेरे लिए खास रणनीति से क्या मतलब है? मेरा काम है गेंदबाजी करना और अपनी टीम को मैच जिताना और मैं ये अपनी काबिलियत के हिसाब से पूरी तरह सही कर रहा हूं। इससे आगे मुझे सोचने की जरूरत नहीं है। उम्र अब भी मेरे पक्ष में है और मुझे भरोसा है कि मैं भारत के लिए फिर खेलूंगा।'
हिन्दुस्थान समाचार/धीरेन्द्र/गोविन्द