11 साल पहले U19 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में विराट - विलियमसन का हुआ था सामना, ऐसा रहा था परिणाम

Updated: Mon, Jul 08 2019 17:00 IST
11 साल पहले U19 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में विराट - विलियमसन का हुआ था सामना, ऐसा रहा था परिणाम Images (Twitter)

8 जुलाई। क्रिकेट में सिर्फ अनिश्चितता नहीं बल्कि इत्तेफाक भी देखने को मिलते हैं। आईसीसी विश्व कप-2019 कौन जीतेगा इसे लेकर अनिश्चितता है और इत्तेफाक यह है कि कप्तान के तौर पर विराट कोहली और केन विलियमसन दूसरी बार आईसीसी विश्व कप के सेमीफाइनल में एक दूसरे के सामने हैं। 

साल 2008 में केन और विराट ने अंडर-19 टीम के कप्तान के तौर पर एक दूसरे का सामना किया था, जिसमें भारत तीन विकेट से जीता था। इसके बाद भारत ने फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को 12 रनों से हराकर चैम्पियन बनने का गौरव हासिल किया था।

अब देखने वाली बात यह है कि क्या कोहली 2008 के इतिहास को दोहराते हुए न्यूजीलैंड को हरा पाते हैं और खिताब तक पहुंच पाते या नहीं। दूसरी ओर, केन की तैयारी कोहली से उस हार का हिसाब बराबर करते हुए लगातार दूसरी बार फाइनल में पहुंचने की होगी। 

भारत दो बार यह खिताब जीत चुका है लेकिन कीवी टीम अब तक एक बार भी खिताब तक नहीं पहुंच सकी है। कोहली अपनी कप्तानी में पहली बार टीम को खिताब तक पहुंचाना चाहेंगे और इसके लिए वह कीवी टीम की कमजोरियों पर हमला करेंगे। केन की भी यही रणनीति होगी।

दोनों टीमें मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड मैदान पर मंगलवार को आमने-सामने होंगी। भारत ने टॉप पर रहते हुए लीग स्तर का समापन किया है जबकि न्यूजीलैंड की टीम अंतिम तीन मैच गंवाने के कारण चौथे स्थान पर रही। 

इस विश्व कप में भारत और न्यूजीलैंड का सामना पहली बार होगा क्योंकि लीग स्तर पर उनका मुकाबला बारिश की भेंट चढ़ गया था। दोनों टीमें मजबूत हैं लेकिन दोनों की कुछ कमजोरियां हैं। ऐसे में दोनों टीमें एक दूसरी की कमजोरियों का फायदा उठाते हुए 14 जुलाई को लॉर्ड्स में होने वाले फाइनल मुकाबले के लिए अपना स्थान सुरक्षित करना चाहेंगी।

लीग स्तर पर भारत के प्रदर्शन की बात करें तो उसे नौ में से सात मैचों में जीत मिली है जबकि उसे एक मैच (इंग्लैंड के खिलाफ) में हार मिली है। न्यूजीलैंड के साथ उसका मैच रद्द हो गया था। 

दूसरी ओर, ब्लैक कैप्स नाम से मशहूर कीवी टीम ने शुरुआती छह मैच जीतते हुए शानदार आगाज किया था लेकिन बाकी के तीन मैचों में उसे पाकिस्तान, आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड से हार मिली थी।

भारत के मजबूत पक्ष की बात की जाए तो रोहित शर्मा (647 रन) उसके केंद्र में हैं। रोहित अब तक पांच शतक लगा चुके हैं और टूर्नामेंट के टॉप स्कोरर हैं। उनके साथ पारी शुरू करने वाले लोकेश राहुल (360 रन, 1 शतक, 2 अर्धशतक) भी शानदार फार्म में हैं। साथ ही कप्तान विराट कोहली (442 रन, 5 अर्धशतक) भी अच्छी टच में हैं। 

इसके अलावा भारत के पास एक बेहतरीन अटैक है, जिसका नेतृत्व जसप्रीत बुमराह कर रहे हैं। बुमराह ने अब तक 17 विकेट लिए हैं और उनका इकोनॉमी रेट (4.48) विश्व कप में सभी गेंदबाजों से बेहतर है।

न्यूजीलैंड के पूर्व कप्तान डेनियल विटोरी कह चुके हैं कि अभी बुमराह को खेल पाना लगभग नामुमकिन है। बुमराह के अलावा भारत के पास मोहम्मद समी, भुवनेश्वर कुमार हैं। समी ने इस विश्व कप का एकमात्र हैट्रिक लिया है।

भारत की कुछ कमजोरियां भी हैं। उसका मध्यक्रम काफी लचर है और इस में स्थायित्व की कमी है। केदार जाधव, दिनेश कार्तिक, हार्दिक पांड्या, महेंद्र सिंह धोनी उम्मीद के मुताबिक नहीं खेल सके हैं। ऐसे में कीवी टीम की रणनीति होगी कि वह शुरुआती सफलता अर्जित करते हुए मध्यक्रम की कमजोरी का फायदा उठाए।

साल 2015 में फाइनल खेल चुकी कीवी टीम के लिए कप्तान केन विलियमसन (481 रन, 2 शतक, 1 अर्धशतक) तुरुप का इक्का साबित हो सकते हैं क्योंकि वह शानदार फार्म में हैं। इसके अलावा ऑलराउंडर जेम्स नीशम (201 रन, 11 विकेट) और कोलिन दे ग्रैंडहोम (158 रन) भी अपनी टीम को संकट से उबारने का माद्दा रखते हैं। 

कमजोरियों की बात की जाए तो कीवी टीम विलियमसन पर जरूरत से अधिक आश्रित हैं और ऐसे में उसके दूसरे बड़े बल्लेबाजों को आगे आकर टीम के लिए खेलना होगा। शीर्ष क्रम और मध्य क्रम की नाकामी कीवी टीम को भारी पड़ सकती है।

गेंदबाजी में हालांकि इस टीम के पास लॉकी फग्र्यूसन (17 विकेट) और ट्रेंट बाउल्ट (15 विकेट) जैसे महारथी हैं, जो 150 किमी प्रति घंटा के करीब की रफ्तार से गेंद फेंक सकते हैं। इनमें विविधता भी है। ये गेंदबाज किसी भी स्कोर की रक्षा करने में सक्षम हैं।

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