रिद्धिमान साहा ने कसा ऋषभ पंत की विकेटकीपिंग पर तंज, कहा- 'विकेटकीपिंग एक 'SPECIALIST' का काम है'
ऑस्ट्रेलिया दौरे पर ऋषभ पंत की शानदार बल्लेबाजी ने लगभग-लगभग रिद्धिमान साहा के लिए टेस्ट टीम में वापसी के दरवाजे बंद कर दिए हैं लेकिन घरेलू ज़मीन पर स्पिनर्स के खिलाफ अभी उनकी परीक्षा होनी बाकी है। इंग्लैंड के खिलाफ चार टेस्ट मैचों की सीरीज कुछ ही दिनों में शुरू होने वाली है लेकिन इससे पहले रिद्धिमान साहा ने एक बयान देते हुए पंत पर तंज कसा है।
साहा ने कहा है कि विकेटकीपिंग एक स्पैशलिस्ट पोजिशन है और टेस्ट क्रिकेट में तो इसकी अहमियत और बढ़ जाती है। 2010 में नागपुर में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ एक बल्लेबाज के रूप में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण करने वाले साहा अक्सर बल्लेबाजी के कारण टीम से अंदर-बाहर होते रहते हैं। लगभग 10 साल बाद भी रिद्धिमान साहा ने सिर्फ 38 टेस्ट खेले हैं, जिनमें तीन शतक और 5 अर्धशतक उनके नाम हैं।
अब तक वह सबसे लंबे प्रारूप में भारत के लिए नंबर 1 विकेटकीपर रहे हैं, लेकिन कहीं न कहीं उनकी बल्लेबाजी ने उनकी टीम में जगह को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या उन्हें इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में पंत से पहले मौका दिया जाता है या नहीं। हालांकि, यह पूछे जाने पर कि क्या पंत को उनके ऊपर तरजीह दिए जाने से वो निराश हैं ?
बंगाल के विकेटकीपर बल्लेबाज ने कहा, "मैं 2018 से इन तुलनाओं को सुन रहा हूं। मैं अपना काम करने में विश्वास करता हूं और मुझे इस बात की चिंता नहीं है कि पंत किस तरह से बल्लेबाजी कर रहे हैं। मैं इस वजह से मेरा खेल बदलना नहीं चाहता हूं। टीम प्रबंधन को यह तय करना है कि स्टंप के पीछे कौन खड़ा होगा।”
साहा उन कुछ खिलाड़ियों में से एक हैं जो एक विशेषज्ञ कीपर की श्रेणी में आते हैं। इस बारे में आगे बात करते हुए उन्होंने कहा, “ऐसी परिस्थितियां हैं जब एक चूक किसी मैच का परिणाम बदल सकती है। विकेटकीपिंग विशेष रूप से टेस्ट क्रिकेट में एक विशेषज्ञ का काम है। मैं हर उस कैच को पकड़ने का दावा नहीं कर रहा हूं जो मेरे रास्ते में आता है, लेकिन यह एक विशेषज्ञ का काम है और उसे ही दिया जाना चाहिए।’
ऑस्ट्रेलिया में हाल ही में समाप्त हुई टेस्ट सीरीज में, भारत ने 2-1 से जीत दर्ज की, साहा को एडिलेड में डे-नाइट टेस्ट मैच के बाद टीम से बाहर कर दिया गया था। साहा ने दो पारियों में सिर्फ 9 और 4 रन बनाए थे। ये वही टेस्ट मैच था जिसमें दूसरी पारी में भारतीय टीम शर्मनाक 36 रन पर सिमट गई थी। साहा की खराब बल्लेबाजी के बाद अगले तीन टेस्ट मैचों में ऋषभ पंत को टीम में जगह दी गई।