सिर्फ एक खिलाड़ी जो आईपीएल खेला और उसका नाम टीम मालिकों में भी रहा

Updated: Wed, Mar 16 2022 12:59 IST
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आईपीएल के ढेरों रिकॉर्ड का अलग-अलग अंदाज़ में जिक्र होता है पर क्या कोई खिलाड़ी ऐसा है जो आईपीएल खेला और साथ में उसका नाम टीम मालिकों में भी था शेयर होल्डर के नाते! इस क्वालिफिकेशन के सबसे जोरदार दावेदार एमएस धोनी हैं जिनका सीएसके से सम्बन्ध बड़ा मजबूत है पर उनके पास सीएसके के शेयर नहीं हैं और शायद बीसीसीआई इसकी इजाजत भी नहीं देंगे। ये रिकॉर्ड शेन वार्न के नाम है और मजे की बात ये है कि बिना कोई पैसा खर्चे उन्हें टीम के शेयर मिले।

शेन वार्न के आईपीएल रिकॉर्ड में ये तो जिक्र होता है कि वे राजस्थान रॉयल्स के लिए खेले और आईपीएल के पहले सीजन (2008) में उनकी कप्तानी में राजस्थान रॉयल्स ने टाइटल जीता पर शेयर होल्डर होने का जिक्र नहीं होता। दो बड़े रोचक मुद्दे जुड़ते हैं इसके साथ- पहला तो ये कि राजस्थान रॉयल्स ने उन्हें खरीदा कैसे और दूसरा ये कि टीम ने उन्हें शेयर होल्डर कैसे बनाया?

एक और रिकॉर्ड- 20 फरवरी, 2008 को, जब मुंबई में, पहली बार आईपीएल नीलाम हुआ था तो शेन वार्न आईपीएल इतिहास में नीलाम होने वाले पहले खिलाड़ी बने थे।

उस समय क्या स्थिति थी वार्न की? वे जनवरी 2007 के बाद कोई इंटरनेशनल मैच नहीं खेले थे और रिटायर हो चुके थे। पूरी तरह फिट भी नहीं थे, शरीर से मोटापे की तरफ और उम्र 38 साल। उस वक्त, उनकी क्रिकेट टेलेंट पर टीमों को कितना भरोसा था इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 8 में से 7 टीम ने वार्न को खरीदने में कोई रूचि नहीं ली- किसी ने बोली तक नहीं लगाई उनके लिए। सिर्फ राजस्थान रॉयल्स ने रूचि ली- इसकी एक वजह ये भी थी कि इस टीम के पास कोई आइकॉन खिलाड़ी नहीं था और उन्हें लगा कि सस्ते में एक बड़ा नाम मिल जाएगा। तब वार्न का बेस प्राइस 450,000 डॉलर (उस समय इसे 2 करोड़ रूपये गिना था) और इसी कीमत पर वे उन्हें मिल गए थे। सभी 8 नई फ्रेंचाइजी में से, रॉयल्स सबसे कम ग्लैमरस थी- बिना किसी स्टार भारतीय नाम के और वैसे भी सबसे कम (67 मिलियन डॉलर) की लागत पर खरीदी गई टीम थी।

राजस्थान रॉयल्स ने वार्न को न सिर्फ कप्तान बनाया- टीम के कोच भी वही थे। सही मायने में टीम की क्रिकेट की पूरी जिम्मेदारी उन पर डाल दी- वार्न के अपने शब्दों में वे 'वन-स्टॉप शॉप' थे टीम के लिए। टीम ने कोच की फीस बचा ली। टीम में ज्यादातर नए खिलाड़ी थे और वार्न ने उन पर भरोसा किया और चुनौती के लिए तैयार किया। इस टीम में नीरज पटेल, स्वप्निल असनोदकर, मोहम्मद कैफ, यूसुफ पठान, रवींद्र जडेजा, सिद्धार्थ त्रिवेदी और मुनाफ पटेल जैसे युवा खिलाड़ी थे। इसके बावजूद शेन वॉर्न ने कई दिग्गजों को चौंका दिया और अपनी टीम को चैंपियन बनाया।

खुद वार्न, टूर्नामेंट में दूसरे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज थे। 2008 में 19 विकेट लिए 15 मैचों में- औसत 21.26 और स्ट्राइक रेट 16.4 रहा। आईपीएल इतिहास में कुल 57 विकेट लिए। वॉर्न 2008 से 2011 तक आरआर के साथ रहे क्योंकि उन्हें आईपीएल 2011 की मेगा नीलामी से पहले रिटेन किया था। वे टीम के मेंटर और ब्रैंड एंबेसडर भी रहे।

मीडिया में ये बात कभी नहीं आई कि राजस्थान रॉयल्स ने अंदरूनी तौर पर शेन वार्न से क्या कॉन्ट्रैक्ट किया? न ही इस बारे में कभी ऑफिशियल तौर पर कुछ बताया गया। ये राज तो बाद में खुद शेन वार्न ने ही खोला। ऑस्ट्रेलिया में 'हेराल्ड सन' को एक इंटरव्यू में खुद वार्न ने बताया कि राजस्थान रॉयल्स ने उन्हें न सिर्फ 657,000 डालर की फीस दी- ये भी तय हुआ था कि (चूंकि वे रिटायर होने के बाद भी खेल रहे हैं)- उन्हें आईपीएल में, हर खेले साल के बदले में- टीम की 0.75 प्रतिशत इक्विटी (मालिकाना हक) देंगे। राजस्थान रॉयल्स ने 2008 में शेन वार्न पर पूरा भरोसा दिखाया था।

जब शेन वार्न ने ये बात बताई तो राजस्थान रॉयल्स ने इसे गलत नहीं बताया। अगर आज भी इस टीम के शेयर होल्डर की लिस्ट देखें तो उसमें 3 प्रतिशत शेयर 'स्पिनर' के नाम पर हैं- ये और कोई नहीं शेन वार्न का अपना अंडर गारमेंट ब्रैंड है। वार्न ने इसी के नाम पर शेयर लिए। इस तरह वे राजस्थान रॉयल्स के साथ सिर्फ भावनात्मक तरीके से नहीं जुड़े थे- वे टीम मालिकों में से थे। टीम की क्रिकेट को सम्भाला और उसी की कीमत मिली।

जब शेन वार्न ने ये बात बताई थी तब टीम की कीमत 200 मिलियन डॉलर आंकी गई थी। जिस तेजी से कीमत बढ़ रही थी, वार्न ने उम्मीद जाहिर की थी कि ये जल्दी ही 400 मिलियन डॉलर पर पहुंच जाएगी और इसका 3 प्रतिशत हिस्सा- कोई बुरा सौदा नहीं।

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