कौन हैं वेस्ले हॉल, जो T20 World Cup में विराट कोहली-रोहित शर्मा से मिले, मोहम्मद अली भी बन गए थे फैन
वेस्टइंडीज के दिग्गज तेज गेंदबाज सर वेस्ले हॉल (Wesley Hall) की बारबाडोस के केंसिंग्टन ओवल में भारतीय खिलाड़ियों से मुलाकात और ख़ास तौर पर राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid), रोहित शर्मा (Rohit Sharma) और विराट कोहली (Virat Kohli) को अपनी बायोग्राफी 'आंसरिंग द कॉल :द एक्स्ट्राऑर्डिनरी लाइफ ऑफ सर वेस्ले हॉल' (Answering the Call: The extraordinary life of Sir Wesley Hall) की कॉपी भेंट करने की खबर भारतीय मीडिया में खूब कवर हुई। कौन हैं ये वेस्ले हॉल और क्या आज के क्रिकेट प्रेमी वास्तव में उन्हें जानते हैं? एक दशक से ज्यादा के करियर में 48 टेस्ट में 192 विकेट उनका बड़ा अधूरा सा परिचय है। इस समय 86 साल के और व्हील चेयर पर- एक समय था जब सिर्फ भारतीय नहीं, दुनिया भर के लगभग हर बेहतरीन बल्लेबाज को भी उनकी गेंद खेलने के नाम पर पसीना आया।
उम्र 86 साल- वाकर और व्हीलचेयर इस्तेमाल करते हैं पर बिल्कुल सीधे खड़े होते हैं। बहुत कम लोग जानते हैं कि बचपन से गले में एक पतली चांदी-सोने की चेन और क्रूसीफिक्स (crucifix) लॉकेट है जो उनकी मां ने एक बड़े स्कूल मैच से पहले, बेटे की घबराहट खत्म करने के लिए पहनाया था। सफाई के आलावा- इसे कभी नहीं उतारा। एक बार एडिलेड में एक टेस्ट के दौरान ढीले हुक की वजह से ये चेन गिर गई- संयोग से डेली एक्सप्रेस के उस जर्नलिस्ट को मिली जो इसके बारे में जानते थे और सीधे उन तक पहुंचा दी।
अपने समय के महान तेज गेंदबाज, ब्रिसबेन 1960 और लॉर्ड्स 1963 सबसे यादगार टेस्ट और ऐसे खिलाड़ी जिसने वेस्टइंडीज क्रिकेट के गोल्डन युग में ख़ास भूमिका निभाई। क्रिकेट से रिटायर हुए तो बिजनेस किया, सरकार में मिनिस्टर बने और कभी-कभी वेस्टइंडीज टीम के मैनेजर भी। वेस्टइंडीज के पास कभी तेज़ गेंदबाज़ की कमी नहीं रही- लेरी कॉन्स्टेंटाइन, जॉर्ज फ्रांसिस, हरमन ग्रिफ़िथ, मैनी मार्टिंडेल,रे गिलक्रिस्ट और चार्ली ग्रिफ़िथ के साथ ही हॉल का नाम लिया जाता है। गजब के एथलीट थे- मशहूर कमेंटेटर टोनी कोज़ियर उन्हें 'बॉडीबिल्डर के शरीर और ताकत' वाला तेज गेंदबाज कहते थे। इंग्लैंड के कप्तान टेड डेक्स्टर ने उन्हें खेलने के बाद कहा था- 'बेहद तेज, मैंने जिन्हें देखा है उनमें से किसी भी और गेंदबाज से ज़्यादा तेज़।' यहां तक कि एक दिन लॉर्ड्स में अचानक आए मोहम्मद अली- मशहूर बॉक्सर (Muhammad Ali) ने उन्हें देखा तो दंग रह गए। ये 1966 की बात है- उन दिनों के वियतनाम युद्ध में लड़ने से इनकार की वजह से अली ने अमेरिका छोड़ दिया था और यूरोप और कनाडा का टूर कर रहे थे। अली ने हॉल को कहा- 'सुनो, अगर मेरे पास तुम्हारे जैसी सहनशक्ति होती तो मैं एक रात में तीन लोगों से लड़ता- पहले दो से दो-दो राउंड और तीसरे से सात!' बाद में अली ने अपनी किताब में भी हॉल की फिटनेस और तेजी के बारे में लिखा।
इस सब के बावजूद गजब के जेंटलमैन- जमैका से आए सबसे बेहतरीन क्रिकेटर में से एक। इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया या भारत- कहीं भी उनकी गेंद पर आउट होने वालों ने भी उनकी तारीफ़ की। 1960-61 के ऐतिहासिक रबर में वे भी शामिल थे। इंग्लैंड में तो लीग क्रिकेट भी खेले।
सर वेस्ले हॉल की इस बायोग्राफी (जिसे उन्होंने विराट कोहली को भेंट किया) को इंग्लैंड में रहने वाले पॉल एकरॉयड ने लिखा है। वेस के लिए (1937 में जन्म) उनकी मां ही सब कुछ थीं। विश्वास कीजिए वे स्कूल क्रिकेट में बल्लेबाज थे और साथ में विकेटकीपिंग भी की। एक क्लब मैच में नियमित ओपनिंग गेंदबाज नहीं था तो हॉल को ‘नई गेंद की चमक उतारने के लिए’ एक-दो ओवर की ड्यूटी दी। वे ऐसे ओवर थे कि उसके बाद जो हुआ वह इतिहास है।
सिर्फ एक फर्स्ट क्लास मैच के बाद 1957 की उस वेस्टइंडीज टीम में थे जिसने ब्रिटेन टूर किया। 5 में से कोई टेस्ट नहीं खेला पर अपने रूम मेट रे गिलक्रिस्ट से जो सीखा उसका नतीजा ये रहा कि सिर्फ 18 महीने बाद भारत टूर में, उन्हीं के साथ, एक खतरनाक ओपनिंग जोड़ी बनाई। फ्रैंक वॉरेल तब नई सोच ला रहे थे वेस्टइंडीज टीम में और जल्दी ही हॉल को चार्ली ग्रिफ़िथ जैसा नई गेंद का पार्टनर मिला। उस दौर के बल्लेबाज बता देंगे कि ये दोनों क्या थे- भारत अगर 1971 से पहले वेस्टइंडीज के विरुद्ध कोई टेस्ट न जीत सका था तो उसके लिए ये दोनों बहुत कुछ जिम्मेदार थे।
वेस हॉल ने जो किया- सबसे बेहतर किया। मोटिवेशनल स्पीकर बन गए। जेल जाते थे भटके युवा को अपराध की दुनिया से वापस लाने। केबल एंड वायरलेस कंपनी में नौकरी की तो स्टॉफ के लिए स्पोर्ट्स सेंटर शुरू किया- आज यहां से बेहतरीन एथलीट सामने आ रहे हैं। सिर्फ 34 साल के थे जब गवर्नर जनरल ने उन्हें सीनेट में एक सीट लेने के लिए कहा। बाद में वे चुनाव जीतकर सीनेट में लौटे और टूरिज्म एंड स्पोर्ट्स मिनिस्टर बने- बारबाडोस की डेमोक्रेटिक लेबर पार्टी के प्रतिनिधि के तौर पर सीनेटर चुना था। जब संसद में नहीं थे तो नई नौकरी बारबाडोस की सबसे बड़ी शराब कंपनी बैंक्स में थी- पीआर और स्टॉफ मामलों की। वे पहले क्रिकेट मैनेजर थे जिसने बताया कि क्रिकेट में भी मैन मैनेजमेंट बहुत जरूरी है। सभी ने इस रोल में उनका सम्मान किया पर पता नहीं क्यों उनकी 1995 के टूर पर ब्रायन लारा से नहीं बनी।
बाद में वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष बने और उनकी पॉलिसी में सबसे ऊपर था- खिलाड़ी कोड ऑफ कंडक्ट के अनुसार खेलें। बोर्ड छोड़ा तो चर्च में पादरी बन गए- धर्म के प्रचार के लिए। जब उनकी बायोग्राफी लिखने के लिए पहली मीटिंग हुई तो उसी में उन्होंने कह दिया था कि किताब में कुछ भी सनसनीखेज या स्केंडल नहीं होगा। केंसिंग्टन ओवल में, जहां वे भारतीय क्रिकेटरों से मिले वहां हॉल एंड ग्रिफिथ स्टैंड है- इस जोड़ी को याद करते हुए। क्रिकेट और कम्युनिटी की सेवाओं के लिए उन्हें 2012 में नाइट बनाया गया- हालांकि नाइटहुड का ये सम्मान देने में बहुत देरी की गई। कॉनराड हंट, गारफील्ड सोबर्स, फ्रैंक वॉरेल, क्लाइड वालकॉट, एवर्टन वीक्स और विव रिचर्ड्स (लेरी कॉन्स्टेंटाइन को एक वकील, पॉलिटिशियन और डिप्लोमेट के तौर पर काम के लिए) उनसे पहले सम्मानित हुए।
सच ये है कि एलक बेडसर के बाद, हॉल सिर्फ दूसरे ऐसे क्रिकेटर थे जिन्हें सिर्फ़ गेंद के साथ क्रिकेट में कमाल के लिए नाइट की उपाधि दी और सर वेस हॉल के नाम से मशहूर हुए। संयोग से सर एलक की तरह, उन्हें भी अपने आखिरी टेस्ट मैच के बाद चार दशक से ज़्यादा इंतज़ार करना पड़ा।
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- चरनपाल सिंह सोबती