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रणजी ट्रॉफी फाइनल में सीमित DRS के उपयोग को अंपायरों ने सराहा

नई दिल्ली, 27 अप्रैल| रणजी ट्रॉफी 2019-20 के फाइनल में अंपायरिग करने वाले तीन अंपायरों ने निर्णय समीक्षा प्रणाली (डीआरएस) के सीमित उपयोग को सराहा है। इस सीजन के रणजी ट्रॉफी फाइनल में सौराष्ट्र ने बंगाल को हरा पहली बार...

Saurabh Sharma
By Saurabh Sharma April 27, 2020 • 22:21 PM
Ranji Trophy 2019-20
Ranji Trophy 2019-20 (IANS)
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नई दिल्ली, 27 अप्रैल| रणजी ट्रॉफी 2019-20 के फाइनल में अंपायरिग करने वाले तीन अंपायरों ने निर्णय समीक्षा प्रणाली (डीआरएस) के सीमित उपयोग को सराहा है। इस सीजन के रणजी ट्रॉफी फाइनल में सौराष्ट्र ने बंगाल को हरा पहली बार खिताब अपने नाम किया था। फाइनल में पहली बार डीआरएस का उपयोग किया गया था और इसी के साथ यह टूर्नामेंट का पहला फाइनल बना था, जहां डीआरएस का उपयोग हुआ हो।

एस. रवि, के.एन. आनंदपद्मनाभन, यशवंत बार्डे (तीसरे दिन शम्सउद्दीन का स्थान लेने वाले) फाइनल मैच में अंपायर थे।

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बीसीसीआई डॉट टीवी से बात करते हुए इन तीनों ने कहा, "सीमित डीआरएस का लाना स्वागतयोग्य कदम है।"

बार्डे ने कहा, "जब फैसला तकनीक की सहायता से बदला जाता है इसे मैं सकारात्मक तरीके से देखता हूं।"

आनंदपदमनाबन ने कहा कि रवि और शम्सउद्दीन के होने से उन्हें मदद मिली।

उन्होंने कहा, "एस. रवि और सी. शम्सउद्दीन के पास अंतर्राष्ट्रीय मैचों में अंपायरिंग करने का अनुभव है जहां डीआरएस का उपयोग किया जाता है इसलिए उनके रहने से मदद मिली।"

उन्होंने कहा, "रणजी ट्रॉफी फाइनल से पहले हम राजकोट में थे और इन दोनों ने हमें बताया था कि किस तरह के फैसलों पर रिव्यू लिया जाता है।"
भारत के पहले दिन-रात टेस्ट मैच में हिस्सा लेने वाले रवि ने बताया कि रणजी ट्रॉफी फाइनल से पहले उनकी अपने साथियों के साथ किस तरह की बातचीत हुई थी।

उन्होंने कहा, "हमने प्रक्रिया पर चर्चा की थी और उन प्रोटोकॉल पर जो फाइनल मैच के दौरान उपयोग में लिए जाने थे। मैच से पहले निदेशक से मैच में मौजूदा सुविधाओं को लेकर चर्चा हुई थी।"

उन्होंने कहा, "हमने दोनों टीमों के कप्तान और मैनेजर से बात की थी और बताया था कि हम डीआरएस के संबंध में मैच में क्या करने वाले हैं। कप्तान और मैनेजरों के कुछ सवाल थे जिनका हमने जबाव दिया जिससे वो संतुष्ट थे।"
 


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