पाकिस्तान में मैच फिक्सिंग जांच के साथ कई हस्तियों का नाम आता है पर जो जिक्र जस्टिस कय्यूम कमीशन का है- वह सबसे अलग है। 79 साल की उम्र में जस्टिस कय्यूम का निधन हो गया है। उन्हीं के कमीशन की जांच पर, सलीम मलिक और अता-उर-रहमान पर आजीवन क्रिकेट का प्रतिबंध लगा और 1990 के दशक के आख़िरी सालों तथा 2000 के दशक की शुरुआत में कई क्रिकेटरों का नाम मैच फिक्सिंग में आया। इस तरह उन्हें, हमेशा उस व्यक्ति के तौर पर याद किया जाएगा, जिसने कहीं भी, मैच फिक्सिंग की सबसे बड़ी जांच में से एक को हैड किया।
उनके कमीशन ने, लगभग एक साल की लंबी पूछताछ के बाद, जो रिपोर्ट दी, वह मई 2000 में रिलीज हुई। जब भी, इस कमीशन का जिक्र होता है तो इस तरह का ही परिचय दिया जाता है उनकी रिपोर्ट का। ये तो वह सब है जिसकी जांच के लिए उन्हें कहा गया। वे जज थे और मौजूदा मैच फिक्सिंग तक पहुंचने के लिए, इसके पिछले सालों के जिक्र में अपने आप झांक लिया। उनकी रिपोर्ट के जिस पहलू को पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने भी महत्व नहीं दिया, वह ये है कि आखिरकार पहली बार कब पाकिस्तान के किसी भी क्रिकेटर का नाम मैच फिक्सिंग के जिक्र में लिया गया। उसी किस्से पर चलते हैं और भारत के लिए तो ये और भी ख़ास है क्योंकि न सिर्फ मैच की दूसरी टीम भारत थी- मैच भी भारत में खेला गया।
पहली बार किसी पाकिस्तानी क्रिकेटर पर मैच फिक्सिंग का आरोप लगा 1979-80 में। आसिफ इकबाल पाकिस्तानी टीम के कप्तान थे और टीम आई भारत में सीरीज खेलने। कोलकाता में सीरीज का 6वां टेस्ट था और टीम इंडिया के उस टेस्ट के कप्तान थे गुंडप्पा विश्वनाथ। सीरीज के लिए, नियमित कप्तान तो सुनील गावस्कर थे पर इस टेस्ट से पहले उन्होंने कह दिया कि वे नहीं खेल पाएंगे और कप्तानी मिल गई विश्वनाथ को।