तैराकी के क्षेत्र में बेशक ओलंपिक और कॉमनवेल्थ में भारतीय टीम अपनी छाप छोड़ने में सफल नहीं हो पा रही है। लेकिन, तैराकी भारत का पारंपरिक खेल है और बीते समय में इस विधा में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीयों ने अपना और देश का नाम रोशन किया है। इस क्षेत्र में मिहिर सेन का नाम प्रमुख है।
मिहिर सेन का जन्म 16 नवंबर, 1930 को पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में हुआ था। वह पेशे से वकील थे, लेकिन तैराकी के जुनून ने उन्हें वैश्विक पहचान दिलाई थी। 36 साल की उम्र में उन्होंने एक असाधारण उपलब्धि हासिल की। मिहिर ने 12 सितंबर, 1966 को डारडनेल्स जलडमरूमध्य को तैरकर पार किया था। डारडनेल्स को पार करने वाले वह दुनिया के प्रथम व्यक्ति थे। इस सफलता ने उन्हें अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाई।
मिहिर सेन की यह एकमात्र उपलब्धि नहीं है। लंबी दूरी के तैराक के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले मिहिर ने 27 सितंबर, 1958 को 14 घंटे और 45 मिनट में इंग्लिश चैनल को तैरकर पार किया था। ऐसा करने वाले वह पहले भारतीय और एशियाई थे। पांच महाद्वीपों के सातों समुद्रों को तैरकर पार करने वाले मिहिर सेन विश्व के प्रथम व्यक्ति हैं।