भारतीय महिला हॉकी का जब भी जिक्र चलता है, तो रानी रामपाल का नाम निश्चित रूप से लिया जाता है। बेहद साधारण परिवार से संबंध रखने वाली रानी ने अपने जोश और जुनून से न सिर्फ व्यक्तिगत तौर पर जीवन में बड़ी सफलता हासिल की, बल्कि देश के महिला हॉकी के उत्थान में बड़ी भूमिका निभाई।
रानी रामपाल का जन्म 4 दिसंबर 1994 को शाहबाद, मारकंडा, कुरुक्षेत्र, हरियाणा में हुआ था। रानी रामपाल के घर की आर्थिक स्थिति दयनीय थी। ऐसे में हॉकी के क्षेत्र में करियर बनाने का उनका सपना बेहद मुश्किल था, लेकिन महज छह साल की उम्र में हॉकी स्टिक थामने वाली रानी ने सभी परेशानियों से लड़ते हुए अपने सपने को पूरा किया।
यह वह समय था जब लड़कियों का हॉकी खेलना स्वीकार्य नहीं था। रानी को प्रशिक्षण देने के लिए कोई कोच तैयार नहीं था। कोच बलदेव सिंह ने उनकी प्रतिभा पहचानी और उन्हें अपने साथ जोड़ लिया। उन्होंने शाहाबाद की स्थानीय हॉकी अकादमी में ट्रेनिंग शुरू की थी। 2008 में मात्र 14 साल की उम्र में उन्होंने भारतीय जूनियर टीम की कप्तानी संभाली और उसी साल चिली में हुए जूनियर विश्व कप में भारत को रजत पदक दिलाया। यह किसी भारतीय महिला टीम का पहला अंतरराष्ट्रीय पदक था। 2010 में रानी मात्र 16 साल की उम्र में भारतीय टीम में शामिल हुईं। भारत ने 2010 में दिल्ली में आयोजित रजत कॉमनवेल्थ गेम्स में रजत पदक जीता था।