क्रिकेटर नमन ओझा पर टूटा दुखों का पहाड़, पिता को हुई 7 साल की जेल

Updated: Wed, Dec 25 2024 11:00 IST
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पूर्व भारतीय क्रिकेटर नमन ओझा के लिए नए साल की शुरुआत से पहले एक बुरी खबर सामने आई है। मध्य प्रदेश के बैतूल में बैंक ऑफ महाराष्ट्र में हुए गबन के मामले में 11 साल बाद फैसला सुनाया गया है और इस मामले में पूर्व क्रिकेटर नमन ओझा के पिता विनय ओझा समेत चार लोगों को सात साल की सजा सुनाई गई है।

बैतूल के मुलताई थाना क्षेत्र के जौलखेड़ा गांव में बैंक ऑफ महाराष्ट्र की शाखा में 2013 में 1.25 करोड़ रुपये का गबन हुआ था। इस मामले में पुलिस ने छह लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। मंगलवार को मुलताई अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने बैंक ऑफ महाराष्ट्र की जौलखेड़ा शाखा से जुड़े गबन के मामले में अपना फैसला सुनाया। इस हाई-प्रोफाइल मामले में मास्टरमाइंड अभिषेक रत्नम समेत अन्य आरोपियों को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई गई है।

मास्टरमाइंड अभिषेक रत्नम को 10 साल की कैद और 80 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई है। पूर्व क्रिकेटर नमन ओझा के पिता विनय ओझा जो उस समय बैंक में सहायक प्रबंधक के पद पर कार्यरत थे, को भी दोषी करार दिया गया है। उन्हें सात साल की सजा और सात लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है।

इसके साथ ही बैंक से जुड़े दो दलाल धनराज पवार और लखन हिंगवे को भी सात-सात साल की सजा और सात-सात लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। इस गबन के मास्टरमाइंड अभिषेक रत्नम ने 2013 में बैंक अधिकारियों के पासवर्ड का इस्तेमाल कर धोखाधड़ी को अंजाम दिया था। गौरतलब है कि उस दौरान पूर्व क्रिकेटर नमन ओझा के पिता विनय ओझा भी इसी बैंक में पदस्थ थे। इस धोखाधड़ी की जांच के दौरान उनका नाम सामने आया था।

सरकारी वकील राजेश साबले ने बताया कि जांच के दौरान पता चला कि बैंक अधिकारियों के पासवर्ड का इस्तेमाल कर गबन को अंजाम दिया गया था। जांच के दौरान बैंक के कैशियर दीनानाथ राठौर की मौत हो गई थी। इसके अलावा प्रशिक्षु शाखा प्रबंधक नीलेश चतरोले, जिनके आईडी और पासवर्ड का दुरुपयोग किया गया था, को भी न्यायालय ने दोषमुक्त करार देते हुए दोषमुक्त करार दिया है। न्यायालय ने चार आरोपियों को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई है।

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अधिवक्ता विशाल कोडले ने बताया कि अभिषेक रत्नम और विनय ओझा ने एजेंटों के माध्यम से फर्जी खाते खोलकर सवा करोड़ रुपए का गबन किया। न्यायालय ने इस मामले में चार आरोपियों को सजा सुनाई है, जबकि प्रशिक्षु शाखा प्रबंधक, जिनके आईडी और पासवर्ड का दुरुपयोग आरोपियों ने किया था, को दोषमुक्त करार दिया है। मुलताई विकासखंड के गांव जौलखेड़ा में बैंक ऑफ महाराष्ट्र के इस मामले ने पूरे क्षेत्र को हिलाकर रख दिया था। न्यायालय का ये फैसला भ्रष्टाचार के खिलाफ एक कड़ा संदेश है।

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