83 वर्ल्ड कप जीत में टीम मैनेजर पीआर मान सिंह उतने ही बड़े हीरो थे जितनी 'कपिल एंड कंपनी'
फिल्म '83' ने कई पुरानी यादें ताजा करा दीं। आपने नोट किया होगा- हर चर्चा में कपिल देव और उनके क्रिकेटरों का नाम है। सच ये है कि 1983 वर्ल्ड कप विजेता टीम के मैनेजर पीआर मान सिंह भी उतने ही बड़े हीरो थे- जितने क्रिकेटर। कई ऐसी बातें हैं जो कभी जिक्र में भी नहीं आईं। ये वो समय था जब टीम के साथ कोच नहीं, मैनेजर जाते थे- टीम के अकेले सपोर्ट और एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ और खेलने के अतिरिक्त हर ड्यूटी उनकी। चलिए मिलते हैं उनसे और तब पता चलेगा कि उन्हें कितना जानते हैं :
पीआर मान सिंह क्रिकेट की दुनिया में मान साब/ मिस्टर क्रिकेट के नाम से मशहूर थे। क्रिकेट खेले भी- दाएं हाथ के बल्लेबाज और ऑफ ब्रेक गेंदबाज जो रणजी ट्रॉफी में हैदराबाद के लिए 1965 और 1969 के बीच 5 फर्स्ट क्लास मैच खेले। बहरहाल क्रिकेट में उन्हें ज्यादा चर्चा एक एडमिनिस्ट्रेटर के तौर पर मिली।
मान साब 1983 में पहली बार टीम के मैनेजर की ड्यूटी कर रहे थे पर सच ये है कि 1978 में जब वे सहायक मैनेजर के तौर पर पाकिस्तान गए तो भी असली 'मैनेजर' वही थे क्योंकि फतेह सिंह राव गायकवाड़ को तो पब्लिक रिलेशन्स से ही फुर्सत नहीं थी। किसी भी टीम मैनेजर की सबसे बड़ी ड्यूटी होती थी- ऐसा माहौल बनाना कि खिलाड़ी अपना पूरा ध्यान सिर्फ खेल पर लगाएं। पीआर मान सिंह ने अकेले 1983 टीम के लिए यही किया और विश्वास कीजिए- इस चक्कर में उन्होंने चुपचाप बोर्ड की पॉलिसी को भी तोड़ दिया।
सबसे मशहूर किस्सा ओपनर श्रीकांत के नाम से जुड़ता है। उस समय पत्नियों/गर्लफ्रेंड को टीम के साथ जाने की इजाजत नहीं थी और बीसीसीआई के नियम इस मामले में बड़े सख्त थे। वर्ल्ड कप से ठीक पहले, कृष्णमाचारी श्रीकांत की शादी हुई और उनकी पत्नी इंग्लैंड में थी- टीम के साथ नहीं, अपने दोस्त के घर में रह रही थी। .
श्रीकांत ने मान साब को कहा- पत्नी से मिलने दें और वायदा किया कि ट्रेनिंग के समय तक लौट आया करेंगे। मान साब तो और भी आगे निकल गए- श्रीकांत से कहा अपनी पत्नी को टीम होटल में ही ले आओ और साथ रखो। ये बात तो कई जगह छपी पर असली बात तो इसके बाद की है। सवाल था उन्हें अलग कमरा कहाँ से दें क्योंकि तब क्रिकेटर रूम पार्टनर के साथ रहते थे। मान साब ने रास्ता निकाला- श्रीकांत के रूममेट रोजर बिन्नी को अपना रूम मेट बना लिया।
और भी बड़ा सच ये है कि उसके बाद उन्होंने तीन और खिलाड़ियों की पत्नियों को होटल में रहने की इजाजत दी। ये 'पत्नी ब्रिगेड' लंदन से बाहर जाने के लिए टीम बस में ही सफर करती थी। तब ऐसी रियायत के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था। अगर भारत ने वर्ल्ड कप न जीता होता तो मान साब और ये चारों खिलाड़ी चार्ज शीट हो गए होते।
और भी बड़ी अनोखी बातें/ किस्से हैं जो शायद अब तक अनजान हैं :
- ये शायद एक अनोखी मिसाल है कि वर्ल्ड कप टीम का कप्तान चुनने के लिए सेलेक्शन कमेटी मीटिंग में टीम मैनेजर को भी बुलाया था। कमेटी में तब गुलाम अहमद, चंदू बोर्डे, चंदू सरवटे, बिशन सिंह बेदी और पंकज रॉय जैसे दिग्गज थे। मीटिंग दिल्ली के होटल ताज मान सिंह में हुई थी।
- मान साब ने कभी इस बात को नहीं छिपाया कि पिछले वर्ल्ड कप रिकॉर्ड को देखते हुए, किसी ने भी टीम से कोई ख़ास उम्मीद नहीं लगाई थी। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा- 'तब सोच ये थी कि हमें वर्ल्ड कप खेलने बुलाया है- इसलिए चले जाते हैं।'
- मान सिंह बहरहाल एक ऐसे व्यक्ति को जानते थे जिसे टीम के जीतने का पूरा भरोसा था। ये और कोई नहीं उनके अपने पिता थे। जब मान सिंह वर्ल्ड कप के लिए हैदराबाद से जाने लगे तो उनके पिता ने अपनी दुकान में एक कैबिनेट को खाली कराना शुरू कर दिया- 'मेरा बेटा कप लेकर वापस आएगा।'
- टीम एयरपोर्ट पर ही फंस गई- ज्यादातर खिलाड़ियों के सामान का वजन ज्यादा था। असल में कई क्रिकेटर, अपने इंग्लैंड में दोस्तों के लिए आम ले जा रहे थे। फालतू सामान ले जाओ पर उसके लिए पैसा दो- पैसा न उनके पास था और न क्रिकेटरों के पास। मान सिंह ने एयरपोर्ट स्टाफ को 'उधार' के लिए राजी कर लिया- लौटेंगे तो दे देंगे!
- शायद पहली बार टीम इंडिया के किसी मैनेजर ने, टीम के वेजिटेरियन खिलाड़ियों के खाने की, विदेश टूर पर, चिंता की और इंतज़ाम कराया।
- वर्ल्ड कप के लिए जाने से पहले तय हो गया था कि टीम को वापस लौटकर तेज गेंदबाज डी गोविंदराज के लिए बेनिफिट मैच खेलना है। जब तक टीम लौटी, वर्ल्ड कप चैंपियन बन चुकी थी। तब भी मान साब ने ही टीम का मैच खेलने का वायदा पूरा कराया।
- इस बात का जिक्र तो होता है कि इंग्लिश क्रिकेट पत्रिका विजडन क्रिकेट मंथली के संपादक डेविड फ्रिथ ने अपनी भारत की क्रिकेट को अपमानित करने वाली रिपोर्ट के छपे एक कागज को चबाकर 'ईट माई वर्ड्स' वाला वायदा पूरा किया पर उन्हें ऐसा करने के लिए याद किसने कराया था? और किसी ने नहीं, मान साब ने। वर्ल्ड कप जीत के बाद उन्हें शर्मिंदा महसूस कराने वाली चिठ्ठी लिखी और वायदा याद कराया।
विजडन के सितंबर अंक में, न सिर्फ मान साब की चिठ्ठी छापी, डेविड की वह फोटो भी थी जिसके उनके मुंह में कागज का एक टुकड़ा था और कैप्शन था 'इंडिया मेड मी ईट माई वर्ड्स'।
- उनका जादू फिर से काम आएगा- इसीलिए उन्हें 1987 वर्ल्ड कप के लिए भी टीम मैनेजर बनाया था।
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1983 वर्ल्ड कप के बारे में एक बिलकुल अलग अंदाज़ में पीआर मान सिंह ने अपनी किताब 'एगनी एंड एक्स्टसी' में लिखा। 1983 वर्ल्ड कप जीत में वे कैमरे के पीछे थे- सभी 14 खिलाड़ियों के योगदान को जानते हैं, मान सिंह की भूमिका को नहीं।