सरफराज खान के शानदार स्पिन खेलने का खुला राज, कोच ने बताया कैसे स्पिन खेलने में महारत हासिल की
सरफराज खान ने राजकोट टेस्ट में डेब्यू करते हुए पहली पारी में और दूसरी पारी में अर्धशतकीय पारी खेली।
सरफराज खान (Sarfaraz Khan) पिछले काफी समय से डोमेस्टिक क्रिकेट में लगातार अच्छा प्रदर्शन करते हुए आ रहे थे लेकिन फिर भी उन्हें भारतीय टीम में जगह नहीं मिल रही थी। हालांकि लंबे इंतजार के बाद उन्हें इंग्लैंड के खिलाफ खेली जा रही 5 मैचों की टेस्ट सीरीज के तीसरे मैच में डेब्यू करने का मौका मिला। उन्होंने इस मौके को अच्छे से भुनाया और दोनों पारियों में शानदार अर्धशतक लगाया। इस दौरान उन्होंने इंग्लैंड के स्पिनरों टॉम हार्टले, जो रूट, और रेहान अहमद को बहुत अच्छे से खेला। सरफराज इंग्लैंड स्पिनरों पर जो ये दबदबा बना पाए वो 15 वर्षों से अधिक की कड़ी मेहनत का परिणाम था। वो अपने पिता नौशाद खान की निगरानी में प्रतिदिन 500 गेंदें खेलते थे।
सरफराज की ग्रोथ को करीब से देखने वाले एक कोच ने कहा, "मुंबई के ओवल, क्रॉस और आजाद मैदानों में ऑफ, लेग और बाएं हाथ के स्पिनरों की प्रतिदिन 500 गेंदें खेली। (कोविड) लॉकडाउन के दौरान, उन्होंने 1600 किमी की कार यात्रा की। मुंबई से लेकर अमरोहा, मोरादाबाद, मेरठ, कानपुर, मथुरा और देहरादून तक, उन्होंने यात्रा की और लौकिक 'अखाड़ों' में खेला, जहां गेंद बहुत टर्न करती है, जिसमें कुछ गेंदों में काफी उछाल होता है और कुछ नीचे रहती है।"
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स्पिनरों को आसानी से खेलने वाले सरफराज अपनी स्किल्स को निखारने के लिए कड़ी मेहनत करते हुए आ रहे है। सरफराज को तैयार करने का श्रेय सिर्फ उनके पिता नौशाद खान को नहीं जाता है अन्य कोचों ने भी इसका योगदान है। भुवनेश्वर कुमार के कोच संजय रस्तोगी), मोहम्मद शमी के कोच बदरुद्दीन शेख, कुलदीप यादव के कोच कपिल देव पांडे, गौतम गंभीर के कोच संजय भारद्वाज और भारत ए के कप्तान अभिमन्यु ईश्वरन के पिता आरपी ईश्वरन ने भी सरफराज को तैयार करने में अपना योगदान दोय है।
उन सभी ने स्पिनरों के खिलाफ सरफराज के नेट सेशन की व्यवस्था की, खासकर कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान। कुलदीप के कोच कपिल पांडे ने पीटीआई को बताया, "लॉकडाउन के दौरान, नौशाद ने मुझे फोन किया क्योंकि हम दोनों आज़मगढ़ से हैं और जब मैं भारतीय नौसेना में कार्यरत था तो हमने मुंबई में क्लब क्रिकेट खेला था। इसलिए, जब वह चाहते थे कि उनके बेटे को प्रैक्टिस मिले, तो मुझे लगा कि यह मेरा कर्तव्य है।"
कपिल ने आगे कहा कि, "लॉकडाउन के दौरान सरफराज ने हमारी कानपुर अकादमी में कुलदीप को खूब खेला। उन्होंने एक साथ कई नेट सत्र किये। मैं टी20 मैचों की व्यवस्था करूंगा क्योंकि उस सीजन में मुश्ताक अली टी20 मुख्य टूर्नामेंट था। मुंबई की लाल धरती पर खेलते हुए बड़े होने के कारण, सरफराज के पास स्पिन के खिलाफ बेहतरीन खेल है और वह अपने पैरों का अच्छा उपयोग करते हैं।"
शमी के कोच बदरुद्दीन ने भी सरफराज को स्पिन में महारत हासिल करने में अपनी भूमिका के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि, "हां, मैंने मुरादाबाद में उनकी ट्रेनिंग और नेट की व्यवस्था की। इसमें कोई शक नहीं कि पिता और पुत्र दोनों ने कड़ी मेहनत की। मैंने एक छात्रावास में उसके रहने की व्यवस्था की और उसे कई मैच खिलाए।
एक अन्य कोच, जिन्होंने नौशाद को अपने बेटों - सरफराज और भारत अंडर-19 स्टार मुशीर को ट्रेनिंग करवाते हुए देखा है। उन्होंने उस कठिन ट्रेनिंग व्यवस्था के बारे में बात की, जो दोनों खिलाड़ियों को गैर-मैच वाले दिनों में भी सहनी पड़ती थी। उन्होंने कहा कि, "वह छोटी उम्र से ही सैकड़ों गेंदें खेल रहे हैं। इसलिए जब मुंबई का कोई मैच नहीं था, तो नौशाद ने घर पर एस्ट्रो टर्फ विकेट तैयार किया, जहां सरफराज ने तेज गेंदबाजों के खिलाफ प्रैक्टिस की। लेकिन जैसे ही उन्हें स्पिन खेलना होता है, वे मैदान में जाते हैं और खुले मैदान में ट्रेनिंग करते हैं।"
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उन्होंने आगे कहा कि, "यहां तक कि रेड-बॉल ट्रेनिंग के लिए भी नौशाद सरफराज को सिमुलेशन ट्रेनिंग देते थे। मान लीजिए कि मुंबई चेन्नई में तमिलनाडु से खेलती है, तो गेंदबाजों को स्पाइक्स के साथ रफ बनाने के लिए कहा जाएगा और फिर उसे एक ऐसे ट्रैक पर खेलने के लिए कहा जाएगा जो चौड़ी दरारों के साथ चौथे दिन की पिच जैसा दिखता है।" ये सारी कड़ी मेहनत राजकोट में इंग्लैंड के खिलाफ खेले गए टेस्ट मैच में देखने को मिली। सरफराज ने पहली पारी में 62(66) और दूसरी पारी में नाबाद 68(72) रन की अर्धशतकीय पारी खेली।