2007 वर्ल्ड कप से बाहर होना मेरे क्रिकेट करियर के बदतर लम्हों में शामिल : सचिन तेंदुलकर
दुबई/नई दिल्ली, 31 दिसंबर (CRICKETNMORE) । वर्ल्ड के महान बल्लेबाजों में से एक सचिन तेंदुलकर 2007 वर्ल्ड कप से भारतीय टीम के जल्द बाहर होने को अपने शानदार क्रिकेट करियर के सबसे बुरे लम्हों में से एक मानते हैं। आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में 2015 में होने वाले वर्ल्ड कप से पूर्व तेंदुलकर ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद के लिए कालम लिखते हुए कहा, ‘‘मेरे लिए भुलाने वाला आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप वेस्टइंडीज में हुए 2007 टूर्नामेंट है। टूर्नामेंट से जल्द बाहर होना मेरे क्रिकेट करियर के बदतर लम्हों में शामिल है।’’
जरूर पढ़ें : आईसीसी टेस्ट रैकिंग में डीविलियर्स टॉप पर कायम,स्मिथ को भी फायदा
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी टीम शानदार थी लेकिन यह ऐसी साबित नहीं हुई। वर्ल्ड कप विजेता टीम का हिस्सा बनने का मेरा इंतजार जारी रहा। इस निराशा ने हालांकि आलोचकों को गलत साबित करने में प्रेरणा का काम भी किया।’’ वर्ल्ड कप 2015 के लिए आईसीसी एंबेसडर तेंदुलकर ने कहा कि घरेलू सरजमीं 2011 वर्ल्ड कप जीता उनके करियर का शीर्ष लम्हा रहा और उन्होंने कहा कि वेस्टइंडीज की निराशा ने चार साल बाद आलोचकों को गलत साबित करने के लिए प्रेरणा का काम किया।
वर्ल्ड कप के 45 मैचों में 2278 रन बनाने वाले तेंदुलकर ने कहा, ‘‘25 जून 1983 को भारतीय क्रिकेट टीम ने वर्ल्ड कप 1983 जीता और ट्राफी हाथ में लिए टीम की तस्वीरें पूरे देश के लिए प्रेरणास्रोत बनी। मैं तब सिर्फ 10 साल का था और इस जीत की मेरी अच्छी यादे हैं। मेरे माता पिता ने मुझे देर रात तक जश्न मनाने की इजाजत दी थी। वर्ल्ड कप जीत के बाद मुझे भी हार्ड गेंद के साथ खेलने की प्रेरणा मिली।’’
उन्होंने कहा, ‘‘वर्ल्ड कप को करीब से देखने का पहला मौका मुझे भारत और पाकिस्तान की सह मेजबानी में हुए 1987 आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप के दौरान मिला। मैं भाग्यशाली रहा कि मुझे मुंबई में होने वाले मैचों के लिए बाल ब्वाय चुना गया। मैंने वहां भारत के महान खिलाड़ियों को खेलते देखा. मैं स्वयं से कहता रहा कि मुझे मैदान पर खेल का हिस्सा बनने की जरूरत है।’’
हिन्दुस्थान समाचार/सुनील/अनूप