भारतीय महिला टीम की गेंदबाज दीप्ति शर्मा अश्विन के इस गेंद को अपनाना चाहती है अपनी गेंदबाजी में

Updated: Sat, Jul 29 2017 18:52 IST

नई दिल्ली, 29 जुलाई । महिला क्रिकेट में स्पिन गेंदबाजों में विविधता कम ही देखने को मिलती है, लेकिन हाल ही में विश्व कप के फाइनल में पहुंचने वाली भारतीय टीम का अहम हिस्सा रहीं दीप्ति शर्मा अपने तरकश में नए तीर शामिल करने को हमेशा प्रयासरत रहती हैं। 

दीप्ति की कोशिश भारतीय पुरुष टीम के ऑफ स्पिन गेंदबाज रविचंद्रन अश्विन की कैरम बॉल सीखने की है। भारत को 23 जुलाई को खेले गए विश्व कप के फाइनल में मेजबान इंग्लैंड ने नौ रनों से मात देकर पहले खिताब से दूर रखा था। ये हैं दुनिया की सबसे खूबसूरत महिला क्रिकेटर्स 

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने हाल ही में राष्ट्रीय राजधानी में विश्व कप उपविजेता भारतीय टीम को सम्मानित किया था। इस मौके पर दीप्ति ने आईएएनएस से बातचीत में अपने क्रिकेट के सफर पर बात की।

आगरा की रहने वाली इस खिलाड़ी ने बताया, "मैं अपने भाई के साथ आगरा की अकादमी में जाती थी। एक दिन मैं बैठी हुई देख रही थी, तभी गेंद मेरे पास आई और मैंने उसे फेंका। इत्तेफाकन वह सीधे विकेटों पर जाकर लगी।"

उन्होंने बताया, "वहां कुछ लड़कियां भी अभ्यास कर रही थीं। उनमें से एक भारतीय टीम की पूर्व बल्लेबाज हेमलता काला थी, जिन्होंने बाद में मेरे बारे में जानने की कोशिश की।" दीप्ति ने बताया, "उन्होंने तुरंत मेरे भाई को मुझे मैदान पर लाने को कहा। उन्होंने मेरे भाई से कहा कि उसमें काफी प्रतिभा है आपको उसकी प्रतिभा का अंदाजा नहीं है।"

दीप्ति खुद को हरनफनमौला खिलाड़ी मानती हैं, लेकिन बाद में उन्होंने अपनी ऑफ स्पिन गेंदबाजी धार देने पर अपना पूरा ध्यान लगाया। उन्होंने कहा, "मैं अश्विन के वीडियो देखती रहती हूं और उनकी वैरिएशन सीखने की कोशिश करती हूं। मैं उनसे अब तक मिली नहीं हूं, लेकिन टेस्ट में वह जितनी विविधतापूर्ण गेंदबाजी का इस्तेमाल करते हैं, उसकी मैं बहुत बड़ी प्रशंसक हूं।"

दीप्ति ने बताया, "मैं नेट्स में कैरम बॉल सीखने की कोशिश करती रहती हूं, लेकिन मैंने अब तक किसी मैच में इसका इस्तेमाल नहीं किया है। एक गेंदबाज के तौर पर आपके पास अलग-अलग गेंद करने की क्षमता होना जरूरी है, क्योंकि एशिया के बाहर के बल्लेबाजों को अच्छी स्पिन खेलने में मुश्किल होती है।"

इंग्लैंड के खिलाफ खेले गए फाइनल के बारे में दीप्ति ने कहा, "जब मैं फाइनल में बल्लेबाजी करने उतरी तो टीम को 28 रनों की दरकार थी और मेरी कोशिश अंत तक टिके रहने की थी। मैं एक-एक रन लेने और खराब गेंद को मारने पर ध्यान दे रही थी।" उन्होंने कहा, "वह लक्ष्य हासिल किया जा सकता था, लेकिन चीजें हमारे पक्ष में नहीं गईं। हालांकि कोई पछतावा नहीं है, क्योंकि हमने काफी कोशिश की। अगर हम संघर्ष नहीं करते तो काफी दुख होता।" ये हैं दुनिया की सबसे खूबसूरत महिला क्रिकेटर्स 

सबसे ज्यादा पढ़ी गई खबरें