ये पहला मौका नहीं जब ICC ने किसी टेस्ट सदस्य देश के बोर्ड को सस्पेंड किया, श्रीलंका से पहले इस टीम के साथ हुआ था ऐसा
ये कोई छोटी खबर नहीं है कि आईसीसी (ICC) ने श्रीलंका क्रिकेट (Sri Lanka Cricket Board) को सस्पेंड कर दिया है। उससे पहले क्रिकेट बोर्ड को सरकार ने झटका दिया था । बोर्ड में गड़बड़ के आरोप पर कार्रवाई करते हुए पहलेतो खेल मंत्री ने एसएलसी को सस्पेंड कर दिया और देश में क्रिकेट को चलाने के लिए एक कमेटी बना दी थी। आईसीसी का एक्शन उसके बाद का है। जबकि पूरा ध्यान, श्रीलंका क्रिकेट को वापस पटरी पर लाने पर होना चाहिए था- वहां क्रिकेट की पहचान की लड़ाई चल रही है।
आईसीसी ने दूसरी बार, इस दलील पर किसी टेस्ट देश के बोर्ड को सस्पेंड किया है- जिम्बाब्वे क्रिकेट को 2019 में सरकारी दखल के कारण सस्पेंड किया था। क्या हुआ था तब जिम्बाब्वे क्रिकेट में? तब भी ऑफिशियल तौर पर वजह 'राजनीतिक हस्तक्षेप' को ही बताया था। ये फैसला 18 जुलाई 2019 को लिया था। आईसीसी के फैसले से तब उनका अगले वर्ल्ड टी20 क्वालीफायर में हिस्सा लेना खतरे में पड़ गया था। आईसीसी बोर्ड ने अपनी स्टेटमेंट में साफ़ कहा था कि जिम्बाब्वे क्रिकेट यह सुनिश्चित करने में नाकामयाब रहा है कि वे सरकारी हस्तक्षेप के बिना काम कर रहे हैं। उन्हें मिलने वाली आईसीसी फंडिंग भी फौरन रोक दी और टीम को आईसीसी इवेंट में हिस्सा लेने से रोक दिया- ऐसा हाल-फिलहाल श्रीलंका के साथ नहीं किया है।
तब आईसीसी चेयरमैन भारत के शशांक मनोहर थे। उनकी स्टेटमेंट थी- 'हम किसी सदस्य देश के बोर्ड को सस्पेंड करने के फैसले को हल्के में नहीं लेते, लेकिन हमें क्रिकेट को राजनीतिक हस्तक्षेप से फ्री रखना चाहिए। फटाफट जिम्बाब्वे क्रिकेट बोर्ड के चुनाव हों, नया बोर्ड बने।'
अगर जिम्बाब्वे में जो हुआ उसे ध्यान से नोट करें तो आईसीसी ने अब श्रीलंका के मामले में, ठीक वैसा ही एक्शन लिया। वहां 21 जून 2019 को जिम्बाब्वे क्रिकेट बोर्ड को सरकार के स्पोर्ट्स एंड रिक्रिएशन कमीशन (एसआरसी) ने सस्पेंड किया था- श्रीलंका में खेल मंत्री ने। वहां भी तब क्रिकेट चलाने के लिए एक कमेटी बना दी थी जिसमें डेविड एल्मन ब्राउन, अहमद इब्राहिम, चार्ली रॉबर्टसन, साइप्रियन मैंडेंज, रॉबर्टसन चिनयेनगेटेरे, सेकेसाई न्होकवारा और डंकन फ्रॉस्ट थे। तब ये सवाल उठा था कि चूंकि जिम्बाब्वे क्रिकेट के लिए सरकार से कोई पैसा नहीं लिया जाता तो क्या एक सरकारी संस्था को उन्हें सस्पेंड करने का अधिकार है? सरकार ने इस सवाल की कोई चिंता नहीं की। आईसीसी ने इसके बाद उनके बोर्ड को सस्पेंड किया। वहां तब ये जरूर हुआ था कि सस्पेंड हुए बोर्ड के चीफ मकोनी ने चेतावनी दी थी कि ऐसे एक्शन पर आईसीसी से जिम्बाब्वे क्रिकेट को सस्पेंड किया जा सकता है- इसका भी सरकार पर कोई असर न हुआ और आखिर में वही हुआ जिसका डर था।
जब ये सब एक्शन हो रहा था तो उनकी पुरुषों की सीनियर टीम नीदरलैंड के टूर पर थी और महिला टीम को लिमिटेड ओवर क्रिकेट की सीरीज के लिए आयरलैंड जाने से पहले नीदरलैंड का टूर करना था। पुरुष टीम ने तो अपना टूर पूरा किया पर महिला टीम का टूर चूंकि शुरू ही नहीं हुआ था- इसलिए रद्द हो गया। इन सीरीज के अलावा, उनकी दोनों टीम को दो टी20 वर्ल्ड कप के लिए ग्लोबल क्वालीफायर में भी हिस्सा लेना था- महिला वर्ल्ड टी20 क्वालीफायर अगस्त और सितंबर में स्कॉटलैंड में था जबकि पुरुष क्वालीफाइंग टूर्नामेंट अक्टूबर और नवंबर में यूएई में था। इस तरह 2020 में ऑस्ट्रेलिया में होने वाले टी20 वर्ल्ड कप में हिस्सा लेना खतरे में पड़ गया। इस बार आईसीसी का फैसला ठीक श्रीलंका के वर्ल्ड कप 2023 में अपने हिस्से के मैच पूरे करने के बाद आया।
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तो इस तरह जिम्बाब्वे ऐसा पहला किस्सा था जब किसी टेस्ट देश को आईसीसी ने सस्पेंड किया। मजे की बात ये है कि इस मामले में श्रीलंका तो उनसे भी पहले ये रिकॉर्ड बना सकता था। तब श्रीलंका क्रिकेट को 2015 में उस समय के आईसीसी चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर डेविड रिचर्डसन ने चेतावनी दी थी कि उनके एडमिनिस्ट्रेशन में सरकारी दखल के लिए उन्हें सस्पेंड किया जा सकता। उस समय तो श्रीलंका क्रिकेट ऐसे एक्शन से बच गया- इस बार न बचे। वैसे अगर सस्पेंड किए जाने का रिकॉर्ड देखें तो नेपाल और अमेरिका क्रिकेट भी सस्पेंड किए जा चुके हैं।