वर्ल्ड कप फ्लैशबैक: जब कपिल देव की खेल भावना के कारण भारत हारा था,लेकिन क्रिकेट की हुई थी जीत
9 अक्टूबर 1987 को भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच चेन्नई के एम.ए.चिदंबरम स्टेडियम पर मुकाबला खेला गया। यह मुकाबला आज भी वर्ल्ड कप इतिहास के यादगार मुकाबले में से एक माना जाता है।
मैच में भारत के कप्तान कपिल देव ने टॉस जीतकर ऑस्ट्रेलिया को पहले बल्लेबाजी करने का न्यौता दिया। कंगारुओं ने सधी हुई शुरुआत की और उनके ओपनर ज्योफ मार्श और डेविड बून ने पहले विकेट के लिए 110 रन जोड़े। 110 रन पर डेविड बून के आउट होने के बाद डीन जोंस बल्लेबाजी करने आये। अपनी बल्लेबाजी के दौरान डीन जोंस ने मनिंदर सिंह की गेंद पर एक बड़ा शॉट खेला। लांग ऑन बाउंड्री पर खड़े रवि शास्त्री ने कैच लपकने की कोशिश की लेकिन वो नाकामयाब रहे। रवि शास्त्री के कहने पर अंपायर ने चार रन का इशारा किया और भारतीय विकेटकीपर किरण मोरे ने भी यही जताया कि वो शॉट छक्का नहीं बल्कि चौका ही था। हालांकि डीन जोंस को ऐसा लग रहा था कि उन्होंने छक्का मारा है।
जैसे ही ऑस्ट्रेलिया की पारी खत्म हुई तो ऑस्ट्रेलिया टीम के मैनेजर एलन क्रोम्प्टोन ने अंपायर की उस फैसले पर नाराजगी जताई। अंपायर डिकी बर्ड ने ऑस्ट्रेलियाई मैनेजमेंट से बातचीत की और फिर वो भारतीय कप्तान कपिल देव के पास गए। कपिल देव ने बेहद ही सजग तरीके से खेल भावना दिखाते हुए उस चौके को छक्के में बदलने की इजाजत दे दी। ऑस्ट्रेलिया के टोटल स्कोर को 268 से 270 कर दिया गया और भारत को 271 रनों का चुनौतीपूर्ण लक्ष्य मिला।
लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम ने एक सटीक शुरुआत की और दोनों ओपनर सुनील गावस्कर और के श्रीकांत ने पहले विकेट के लिए 69 रन जोड़े। तीसरें नंबर पर बल्लेबाजी करने उतरे नवजोत सिंह सिंद्धू ने ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाजों की जमकर खबर ली और 5 छक्के और 4 चौके मदद से 73 रन बनाए। इन सब पारियों के बावजूद भारतीय टीम लक्ष्य तक पहुँचने में असफल रही और 49.5 ओवर में 269 रनों पर ढेर होकर 1 रन से मैच हार गई। कहीं ना कहीं भारतीय टीम को कपिल देव का वो फैसला भारी पड़ा और टीम को 1 रन की करीबी हार मिली।