भारतीय महिला क्रिकेट खिलाड़ियों के रिटेनरशिप फीस को लेकर इस दिग्गज का आया चौंकाने वाले बयान
नई दिल्ली, 11 मार्च | भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने सालाना केंद्रीय अनुबंध में संशोधन के बाद अब भारतीय महिला क्रिकेट खिलाड़ियों की जो रिटेनरशिप फीस तय की है, वह दुनिया में सबसे अधिक है। ऐसा मानना है महिला क्रिकेट के इतिहासकार और विशेषज्ञ सुनील यश कालरा का। बीसीसीआई ने हाल में भारतीय पुरुष और महिला क्रिकेट टीम खिलाड़ियों के लिए 2017-18 के अनुबंध की घोषणा की है
इस अनुबंध में भारतीय महिला क्रिकेट टीम को हाल में मिली लोकप्रियता और मीडिया के उसके प्रति बढ़े रुझान की छाप भी साफ तौर पर दिखाई देती है। क्रिकेट प्रशंसकों और आलोचकों की नजर में पुरुषों और महिलाओं को मिली राशि में एक बड़ा फर्क हो सकता है, लेकिन कालरा को लगता है कि यह भारतीय महिला क्रिकेट में एक स्वर्णिम युग की शुरूआत है।
कालरा के अनुसार बोर्ड का केंद्रीय अनुबंध त्रिकोणीय सीरीज से पहले उठाया गया एक बड़ा कदम है। यह सीरीज भारत, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच 22 मार्च से मुम्बई के ब्रेबोर्न स्टेडियम में शुरू हो रही है।
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कालरा के अनुसार महिला क्रिकेट खिलाड़ियों के अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में शानदार प्रदर्शन के बाद उन्हें केंद्रीय अनुबंध में शामिल करना एक अच्छी शुरूआत है। इससे न सिर्फ महिला क्रिकेट का ढांचा दुरुस्त होगा बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन करने के लिए उनका मनोबल भी बढ़ेगा। उन्होंने बताया कि इस समय इंग्लैंड में महिला क्रिकेट खिलाड़ियों को 50 हजार पाउंड (करीब 45 लाख रुपये) के हिसाब से रिटेनरशिप फीस दी जाती है।
यहां बोर्ड का खिलाड़ियों से करार दो साल के लिए है। मौजूदा विश्व चैम्पियन ऑस्ट्रेलिया की ग्रेड-ए खिलाड़ियों की रिटेनरशिप राशि में 80.2 फीसदी की वृद्धि की गई है और अब इसे 40 हजार डॉलर से बढ़ाकर 72,076 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (करीब 36 लाख रुपये) कर दिया गया है, जबकि भारतीय खिलाड़ियों की ए-ग्रेड की अनुबंध राशि 76 हजार डॉलर (करीब 50 लाख रुपये) तय की गई है।
न्यूजीलैंड की महिलाओं को तीन साल की अनुबंध राशि का 34 हजार डॉलर दिया जाता है, जो पहले 20 हजार डॉलर था जबकि वेस्टइंडीज ने 12 हजार डॉलर की अनुबंध राशि को बढ़ाकर 30 हजार डॉलर कर दिया है। वेस्टइंडीज महिला क्रिकेट में पहला ऐसा देश है जिसने महिला क्रिकेट खिलाड़ियों के लिए केंद्रीय अनुबंध को शुरू किया था।
पाकिस्तान में भी महिला क्रिकेटरों के लिए हाल में केंद्रीय अनुबंध शुरू किया गया है, जहां उन्हें करीब दस लाख रुपये सालाना मिलते हैं।
कालरा ने बताया कि ब्रैम्बले और हैम्बलेटन के बीच महिला क्रिकेट का पहला मैच 1745 में इंग्लिश काउंटी सरे में खेला गया था। वहीं भारत में महिला क्रिकेट की शुरूआत की कहानी भी दिलचस्प है। 20वीं शताब्दी में ऑस्ट्रेलिया के स्कूली अध्यापक एने केलेवे ने 1913 में केरल के कोट्टायम के बाकर मेमोरियल स्कूल में महिला क्रिकेट को अनिवार्य कर दिया था। तब से महिला क्रिकेट ने एक लम्बा सफर तय किया और भारत ने अधिकृत रूप से महिलाओं का पहला वल्र्ड कप 1973 में आयोजित किया जबकि पुरुषों का वल्र्ड कप इसके दो साल बाद आयोजित किया गया।
महिलाओं का टी-20 विश्व कप साल 2009 में शुरू किया गया और तब से भारतीय महिलाएं दो बार सेमीफाइनल में पहुंचने में सफल रहीं जबकि वनडे क्रिकेट के पिछले साल खेले गए विश्व कप में भारतीय महिलाओं ने शानदार प्रदर्शन करते हुए अपनी चुनौती फाइनल तक रखी।
इसी टूर्नामेंट के शुरुआती दौर में भारत ने यह विश्व कप जीतने वाली इंग्लैंड टीम को 35 रन से शिकस्त देकर उलटफेर किया था।
कालरा के अनुसार केंद्रीय अनुबंध को लेकर हालिया घटनाक्रम से भारतीय महिला क्रिकेट टीम का निश्चय ही त्रिकोणीय सीरीज से पहले मनोबल बढ़ेगा। खिलाड़ियों के लिए विज्ञापन, प्रायोजन और प्रमोशन की गतिविधियां बढ़ने से भारतीय महिलाओं को विश्व स्तर पर अच्छा प्रदर्शन करने की प्रेरणा मिलेगी।