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Cricket History - इंग्लैंड का भारत दौरा 1961-62
1961 में इंग्लैंड ने भारत का दौरा किया। इससे पहले 1950 के दौरान भारत ने टेस्ट सीरीज जीता तो था लेकिन वो पाकिस्तान के खिलाफ था और तब पाकिस्तान अपना पहला टेस्ट सीरीज खेल रही थी और न्यूजीलैंड के खिलाफ जो उस जमाने की सबसे कमजोर टीमों में से एक थी।
लेकिन साल 1961 में भारत ने एक बड़ी सीरीज जीती और वो भी इंग्लैंड जैसी एक बड़ी टीम के खिलाफ। 1961/62 में भारतीय टीम नारी कॉन्टरैक्टर की कप्तानी में इंग्लैंड के खिलाफ पहली बार टेस्ट सीरीज में जीतने में कामयाब रही।
अंग्रेजों के लिए यह दौरा काफी वयस्त रहा। पहले उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ एक टेस्ट मैच खेला, उसके बाद भारत में 5 मैचों की एक बड़ी टेस्ट सीरीज, पाकिस्तान के खिलाफ फिर दो टेस्ट मैच और फिर श्रीलंका के खिलाफ एक पूरा टेस्ट दौरा। हालांकि दौरे के अंत में इंग्लैंड के 7 मुख्य खिलाड़ी मौजूद नहीं थे जिसके कारण उन्हें काफी परेशानी झेलनी पड़ी।
शुरू के 3 टेस्ट मैच बॉम्बे, कानपुर और दिल्ली में हुए और यह तीनों ही मैच ड्रॉ रहे। कानपुर में हुए दूसरे टेस्ट मैच भारत ने इंग्लैंड को फॉलोवोन खेलाया। तब करीब दो दिन का खेल बाकी था लेकिन ज्योफ पुलर, केन बेरिंग्टन और कप्तान टेड डेक्सटर के शानदार शतक के दम पर इंग्लैंड यह मैच बचाने में कामयाब रहा। किसी कारण से मैदान पर बैठे दर्शक बल्लेबाजों की ओर लगातार रोशनी चमका रहे थे जिसके कारण मैच को थोड़ी देर के लिए रोकना भी पड़ा था।
दिल्ली में हुए टेस्ट मैच के दौरान भारतीय टीम को इंपेरेयिल होटल में रखा गया था। तब कृपाल सिंह ने होटल रिसेपशनिस्ट से शराब की फरमाइश की। रिसेपशनिस्ट ने इस बात की जानकारी टीम मैनेजमेंट को दे दी जिसके बाद कृपाल सिंह और सुभाष गुप्ते को कलकत्ता में हुए अगले टेस्ट मैच से बाहर कर दिया गया। गुप्ते को इस लिए सजा मिली क्योंकि उन्होंने कृपाल को शराब मांगने से रोका नहीं था। हालांकि कृपाल सिंह भारत के लिए फिर से खेले लेकिन गुप्ते जो तब तक भारत के सबसे कामयाब स्पिनर थे, वो ट्रिनिदाद में बस गए और दोबारा कभी भारत के लिए खेलते हुए नजर नहीं आए।
कलकत्ता में खेले गए सीरीज के चौथे टेस्ट मैच और मद्रास में खेले गए सीरीज के पांचवे टेस्ट मैच में भारतीय टीम ने मेहमानों को धूल चटाते हुए 5 मैचों की इस टेस्ट सीरीज को 2-0 से अपने नाम की।इस जीत में ऑलराउंडर चंदू बोरडे और सलीम दुरानी ने भारत के लिए शानदार खेल दिखाया था।
कलकत्ता में इंग्लैंड की टीम 421 रनों के लक्ष्य पिछा कर रही थी और अंग्रेज 5 विकट के नुकसान पर 129 रन बनाकर संघर्ष कर रहे थे। इससे पहले पीटर पार्फिट और बैरी नाइट के बीच 65 रनों की साझेदारी हुई थी। लेकिन इंग्लैंड की टीम 233 पर ऑलआउट हो गई। बोरडे ने इस मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए 68 और दूसरी पारी में 61 रन बनाने के अलावा 65 रन देकर 4 विकेट भी चटकाए थे। दुरानी ने भी बल्लेबाजी में 43 रन बनाने के अलावा पहली पारी में गेंदबाजी में 47 रन देकर 5 विकेट तथा दूसरी पारी में 66 रन देकर 3 विकेट हासिल करने का कारनामा किया था।
मद्रास टेस्ट में इंग्लैंड को 338 रनों का लक्ष्य मिला और तब टीम 5 विकेट खोकर 90 रनों के साथ मुसीबत में थी। इस मैच में भी पार्फिट और नाइट ने 66 रन जोड़े लेकिन इसके बावजूद मेहमान 209 रन पर ऑलआउट हो गए। बोरडे ने इस मैच में 31 रन बनाने के अलावा 58 रन देकर 2 विकेट और 59 रन देकर 3 विकेट हासिल किए। दूसरी तरफ दुरानी ने 21 रन बनाने के साथ-साथ 105 रन देकर 6 विकेट और 72 रन देकर 4 बल्लेबाजों को पवेलियन का रास्ता दिखाया।
सीरीज का परिणाम
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